जिले में 300 क्विटल आएगा ढैंचा का बीज, बढ़ाई जायेगी मिट्टी की उर्वरा शक्ति
tds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_show
चंदौली जिले में कृषि विभाग जैविक खेती को बढ़ावा देने में जुटा है। जिले में जल्द ही ढैंचा का बीज मंगाया जाएगा। लगभग 300 क्विटल बीज मंगाकर राजकीय बीज गोदामों से वितरित किया जाएगा। ढैंचा की बोआई कर किसान खेत में हरी खाद तैयार कर सकते हैं। धान की रोपाई के पूर्व ढैंचा की जोताई कर पानी में सड़ाने से खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ती है। वहीं मिट्टी में जीवांश कार्बन की मात्रा भी बढ़ेगी।
विभाग की ओर से निर्धारित दर पर किसानों को इसकी बिक्री की जाएगी। वहीं बीज खरीदने वाले किसानों को शासन के मानक के अनुरूप सब्सिडी भी मिलेगी। रबी फसलों की कटाई के बाद खेत में ढैंचा की बोआई की जाती है। लगभग एक माह में ढैंचा लगभग दो फीट ऊंचा हो जाता है। धान की रोपाई से पूर्व खेत में पानी भरकर इसकी जोताई कर मिट्टी में मिला दिया जाता है। कुछ दिनों बाद ढैंचा सड़कर जैविक खाद बन जाता है। इससे मिट्टी में जीवांश कार्बन की मात्रा बढ़ती है। वहीं किसानों को खेत में बहुत ज्यादा खाद भी नहीं डालनी पड़ती है।
दरअसल, रासायनिक खाद के अत्यधिक इस्तेमाल और फसल अवशेष खेतों में जलाने से मित्र कीट मर रहे हैं और मिट्टी में जीवांश कार्बन की मात्रा घटती जा रही है। इससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति घट रही है। ऐसे में कृषि विभाग अलर्ट हो गया है। जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए तरह-तरह के जतन किए जा रहे हैं। इसी क्रम में ढैंचा की बोआई कराने का लक्ष्य रखा गया है। ताकि रासायनिक खाद पर किसानों की उर्वरता कम हो।
इस सम्बन्ध में कृषि उपनिदेशक राजीव भारती ने बताया कि जिले में लगभग 300 क्विटल ढैंचा का बीज मंगाया जाएगा। राजकीय बीज गोदामों से किसानों में इसका वितरण कराया जाएगा।
औसत से काफी कम हैं पोषक तत्व
मिट्टी में पोषक तत्वों की मात्रा औसत से काफी कम है। जीवांश कार्बन की मात्रा प्वाइंट दो से तीन मिल रही है। मानक के अनुरूप इसकी मात्रा प्वाइंट आठ होनी चाहिए। इसी प्रकार सल्फर 12 से 13 किलोग्राम है जबकि प्रति हेक्टेयर 40 किलोग्राम होना चाहिए। पोटाश 125 से 130 किलोग्राम है। इसकी मात्रा 250 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर होनी चाहिए। सल्फर आठ और नौ पीपीएम (पार्टिकल पर मिलियन) मिल रहा है। इसकी मात्रा कम से कम 15 पीपीएम होनी चाहिए। जिक 1.2 पीपीएम है जबकि इसकी मात्रा तीन से चार पीपीएम होनी चाहिए।
चंदौली जिले की खबरों को सबसे पहले पढ़ने और जानने के लिए चंदौली समाचार के टेलीग्राम से जुड़े।*