विश्व मधुमेह दिवस हरिओम हॉस्पिटल एंड ट्रामा सेंटर पर निःशुल्क कैम्प, 150 मरीजों की मुफ्त जांच
डायबिटीज के मरीजों के बारे में खास जानकारी
जानिए क्यों व कैसे बढ़ रहे शुगर के मरीज
डॉ. विवेक सिंह ने दी कारगर जानकारी
चंदौली जिले के हरिओम हॉस्पिटल एंड ट्रॉमा सेंटर पर कैंप लगाकर 115 मरीजों की निःशुल्क शुगर की जांच की गई और दवा भी वितरण किया गया। कैम्प में 24 मरीजों की थायराड की भी निःशुल्क जांच करके उचित परामर्श दिया गया।
इस मौके पर डॉ. विवेक सिंह ने बताया की शुगर की बीमारी दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इसकी रोकथाम करने की जरूरत है। भारत में डायबिटीज एक खतरनाक मोड़ पर पहुंच गया है। यह कहा जा सकता है कि भारत दुनिया में डायबिटीज का सबसे बड़ा गढ़ बनता जा रहा है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि दुनिया में हर छठा व्यक्ति जो डायबिटीज से पीड़ित है, वह भारतीय है। भारत में करीब सात करोड़ 70 लाख डायबिटीज के मरीज हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि भारत मं डायबिटीज यानी मधुमेह के रोगियों की संख्या क्यों ज्यादा है। कैसे भारतीयों में ग्लूकोज इंटालरेंस बढ़ता जा रहा है।
विवेक सिंह ने कहा कि डायबिटीज के दो प्रकार की होती है.. एक टाइप- 1 और दूसरा टाइप-2। टाइप-1 मधुमेह यानी डायबिटीज देश में एक खतरनाक रूप अख्यितार कर चुका है। उन्होंने कहा कि टाइप-1 के शिकार ज्यादातर बच्चे हैं। इसलिए इसे चाइल्डहुड डायबिटीज भी कहते हैं। टाइप-1 से पीड़ित मरीजों की संख्या दो फीसदी है। उन्होंने कहा कि यह टाइप-2 से ज्यादा खतरनाक है। उन्होंने कहा कि टाइप-1 माता-पिता से बच्चों में आती है। इसलिए यह बच्चों में जन्म से होती है। उन्होंने कहा कि दरअसल, टाइप-1 मरीजों के शरीर में इंसुलिन नहीं बनती है। उन्होंने कहा कि अगर टाइप-1 का उपचार समय पर नहीं होता तो मरीज की जान भी जा सकती है।
डॉ. विवेक सिंह के मुताबिक प्रत्येक व्यक्तियों में ग्लूकोज लेवल अलग-अलग होता है। अगर किसी व्यक्ति में ब्लड ग्लूकोज लेवन 140 mg/dl से कम हो तो इसे नार्मल कहा जाता है, लेकिन यदि यह ग्लूकोज लेवल 140 से 199 के बीच हो तो इसे प्री-डायबिटीक कंडीशन कहते हैं। 200 mg/dl से ऊपर होने पर व्यक्ति को डायबिटीक कहा जाता है। ऐसे लोगों को तत्काल चिकित्सकीय परामर्श लेना चाहिए।
डा अरोड़ा ने कहा इस रोग के लिए हमारी जीवन शैली काफी हद तक जिम्मेदार है। रक्त में ग्लूकोज बढ़ने के कई कारण हैं। इसमें एक प्रमुख कारण ग्लूकोज इंटालरेंस (GI) है। शुगर के मरीजों के लिए अक्सर चावल और आलू से परहेज करने को कहा जाता है। इसके पीछे प्रमुख कारण ग्लूकोज इंटालरेंस (जीआई) है। उन्होंने कहा कि हमारे दैनिक आहार में ब्रेड, आलू, केक, ओट्स, पास्ता, चावल, बादाम, फ्रूट्स और कंफेक्शनरी शामिल है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन सबमें अलग-अलग जीआई पाया जाता है। आलू में 71 जीआई होता है, चावल में 67। इसी तरह से ब्रेड में 64, पास्ता में 52, ओट्स में 61, फ्रूट्स में 51, केक में 49, कन्फेक्शनरी में 48 और बादाम में 22 जीआई होता है।
क्या है जीआई
जीआई यानी ग्लाइसेमिक इंडेक्स। यह एक स्केल है, जो यह बताता है कि शरीर को कितना कार्बोहाइड्रेट मिल रहा है और ब्लड ग्लूकोज लेवल कितना पहुंचा। यह तीन स्तर का होता है। सबसे पहले, लो जीआई फूड्स। इसमें 55 या कम जीआई वाली डाइट लेने से डायबिटीज और हार्ट डिजीज का रिस्क कम होता है। दूसरा, मीडियम जीआई फूड्स। इसमें 56 से 69 रैकिंग वाले फूड शामिल हैं। इसमें ब्लड ग्लूकोज लेवल बढने का खतरा कम होता है। तीसरा, हाई जीआई फूड्स होते हैं। 70 या उससे ऊपर इन फूड्स से ब्लड ग्लूकोज लेवल तेजी से बढ़ता है। ये आपके स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होते हैं।
उन्होंने कहा कि ब्लड में ग्लूकोज का लेबल बढ़ने के कई प्रमुख कारण हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि जरूरत से कैलोरी युक्त ज्यादा भोजन करना, आपको डायबिटीज का रोगी बना सकता है। इसके अलावा इस रोग के लिए स्ट्रेस बड़ा कारण है। लगातार स्ट्रेस में रहने से मधुमेह का मरीज बनने की आशंका प्रबल हो जाती है। फिजिकल एक्टिविटी यानी शारीरिक श्रम नहीं करने की स्थिति में भी मधुमेह की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा लंबी बीमारी के चलते ली जा रही दवा के चलते भी कई बार व्यक्ति डायबिटीज का रोगी बन जाता है। इसके अलावा शरीर में पर्याप्त इंसुलिन नहीं बनने की स्थिति में भी मधुमेह होने की आशंका प्रबल होती है।
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