चंदौली जिले में रहने वाले बांग्लादेशियों पर हाईकोर्ट सख्त, डीएम से मांगी गई जानकारी
फर्जी मतदाता पहचान पत्र के आधार पर निवास करने वाले बांग्लादेशियों की पड़ताल शुरू
चंदौली जिले में फर्जी मतदाता पहचान पत्र के आधार पर घनी आबादी के बीच निवास करने वाले बांग्लादेशियों की पड़ताल एक बार फिर से शुरू हो गई है । इस मामले को लेकर हाई कोर्ट सख्त हो गया है और जिले के जिलाधिकारी से जानकारी मांगी है।
आपको बता दें कि 2018 में फर्जी मतदाता पहचान पत्र पर निवास कर रहे पांच बांग्लादेशी गिरफ्तार हुए थे। हालांकि, अब दुलहीपुर में बांग्लादेशी नहीं रह रहे हैं, लेकिन नगर बांग्लोदशी घुसपैठियों का हब बनता रहा रहा है। गाहे बगाहे विदेशी नागरिक पकड़े जाते हैं। पुलिस व प्रशासनिक अमले की सुस्ती से समस्या गंभीर रूप धारण कर रही है। इसी को लेकर साढे तीन साल बाद मामले की फिर से पड़ताल शुरू हो गई है।
वर्ष 2018 के नवंबर माह में वाराणसी में प्रधानमंत्री के आगमन से महज दो दिन पूर्व दुलहीपुर क्षेत्र से पांच बांग्लादेशियों के पकड़े जाने से पुलिस और प्रशासनिक अमले में खलबली मच गई थी। घटना से अंतरराष्ट्रीय जांच एजेंसियों के भी कान खड़े हो गए थे तो पुलिस की कार्यप्रणाली को सवालों के घेरे में ला खड़ा किया था।
दुलहीपुर से बांग्लादेशी नागरिकों के पकड़े जाने का मामला नया नहीं है। पहले भी कुछ लोगों को फर्जी दस्तावेजों संग पकड़ा जा चुका है। मिश्रित आबादी होने के चलते घुसपैठिए आसानी से पहचान में नहीं आते हैं।
पुलिस की सुस्ती इनका काम और आसान कर देती है। अवैध रूप से रहने वालों के खिलाफ कभी अभियान नहीं चलाया जाना भी स्थानीय लोगों के लिए चिता का विषय बना हुआ है। हालत यह है कि ग्रामीणों को खुद मोर्चा खोलना पड़ता है। काम गांव के लोग करते हैं और पुलिस अपनी पीठ थपथपा लेती है।
इस संबंध में दुलहीपुर ग्राम प्रधान आनंद गुप्ता ने बांग्लादेशियों के मामले पर कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया।
सूत्रों की माने तो संदिग्ध व्यक्ति बांग्लादेशियों का फर्जी दस्तावेज बनवाते है। इसके बाद उन्हें विदेश भेजता है। इसके एवज में वह बांग्लादेशी नागरिकों से अच्छी खासी रकम भी वसूली जाती है।
बांग्लादेशी नागरिकों का हाईस्कूल का फर्जी मार्कशीट, फर्जी आधार कार्ड बनवाया जाता है। इसके बाद उन्हें विदेश भेजा जाता है या फिर आतंकी घटनाओं को अंजाम देते हैं। कैसे बनता है इनका दस्तावेज, कितने बांग्लादेशी अवैध रूप से रह रहे हैं आदि सवालों का जवाब पुलिस को ढ़ूंढना है।
बांग्लादेशियों को लेकर जांच एजेंसियों की रिपोर्ट में भी दुलहीपुर क्षेत्र हब बना है। दुलहीपुर सहित मलोखर, सतपोखरी, शकूर का भट्ठा, यादव चौराहा, शकूराबाद, काली महाल, चतुर्भुजपुर आदि स्थान घुसपैठियों को पनाह देने के लिए मशहूर हैं। ऐसे लोगों के जाली दस्तावेज बनवाना, किराए पर रखना कुछ लोगों के लिए कमाई का जरिया भी है। बांग्लादेशियों के लड़के ज्यादातर कूड़ा-कचरा बीनने का काम करते हैं।
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