अपर पुलिस अधीक्षक से मिले लॉकरधारी, कानपुर की तर्ज पर मुआवजा भुगतान की मांग
बैंक ने पेपर कल शाम अपने अधिवक्ता को दिया
कोर्ट में भी सही तरीके से न तो जवाब दाखिल कर रहा है और ना तो हमारा सहयोग कर रहा
चंदौली जिले में पीड़ित इंडियन बैंक के लॉकरधारियों का एक प्रतिनिधिमंडल एसपी कार्यालय में पुलिस अधीक्षक के न रहने पर अपर पुलिस अधीक्षक चिरंजीव मुखर्जी से मिला और कानपुर सेंट्रल बैंक की शाखा के द्वारा 11 लॉकरधारियों के 24 दिन के भीतर 2 करोड़ 64 लाख का भुगतान किए जाने के पेपर सौंपते हुए इंडियन बैंक पर दवाब बनाकर ठीक उसी तरह की प्रक्रिया अपनाने की बात कही जिससे जल्द से जल्द मुआवजे का भुगतान हो सके।
साथ ही साथ चेतावनी दी कि अगर बैंक पीड़ितों की मदद और कानूनी प्रक्रिया में सहयोग नहीं करेगा और पुलिस भी बैंक पर दबाव बनाकर मुआवजा भुगतान की प्रक्रिया में सहयोग नहीं करेगी तो मई महीने के दूसरे सप्ताह में आमरण अनशन भी करने पर विचार किया जाएगा और यह अनशन तब तक चलेगा, जब तक बैंक के आला अफसर आकर सेटलमेंट के लिए तैयार नहीं हो जाते हैं।
एएसपी ने कोतवाल को दिया आदेश
पीड़ितों का पत्र लेकर पर अपर पुलिस अधीक्षक चिरंजीव मुखर्जी ने चंदौली कोतवाल शेषधर पांडेय को निर्देशित किया कि कानपुर के मामले का संज्ञान लेकर तत्काल बैंक को वहां के भुगतान प्रक्रिया को समझने का निर्देश दिया और बैंक के अफसरों को कानपुर की सेंट्रल बैंक शाखा से कोआर्डिनेट करके वहां से पेपर मंगाने की बात कही। ताकि मुआवजे के भुगतान की प्रक्रिया को जाना समझा जा सके और पीड़ितों को मुआवजा दिलाने में मदद की जा सके।
तालाबंदी के बाद दिया पेपर
पीड़ितों ने पुलिस से फरियाद किया कि 30-31 जनवरी 2022 की रात में इंडियन बैंक 40 लॉकरों को काटकर खाताधारकों के करोड़ों रुपए के जेवरात और गहने गायब हो गए थे। इस मामले में पुलिस की चार्जशीट में बैंक की लापरवाही सामने आई है और बैंक ने अभी तक ना तो मुआवजे का भुगतान किया है और ना ही हमारी कानूनी प्रक्रिया में हमारा सही तरीके से सहयोग कर रहा है। हमें बैंक के इंश्योरेंस के पेपर लेने के लिए 10 दिन की दौड़भाग के बाद तालाबंदी को मजबूर होना पड़ा तब जाकर बैंक ने पेपर कल शाम अपने अधिवक्ता को दिया।
कानपुर में मिला पौने 3 करोड़ का मुआवजा
पीड़ितों ने कहा कि जिस तरह से कानपुर जिले में सेंट्रल बैंक से गायब हुए गहनों और जेवरातों के मामले में बैंक प्रबंधन ने कार्यवाही करते हुए मात्र 24 दिन के अंदर पीड़ित 11 लॉकरधारियों को मुआवजा देते हुए भरपाई की है। कानपुर की कराचीखाना लॉकर कांड के 11 पीड़ितों को 2 करोड़ 64 लाख का मुलावजा मिला है। इस मामले में बैंक प्रबंधन ने लॉकरधारियों के प्रति उदारता दिखाई है। लेकिन इंडियन बैंक प्रबंधन इस मामले में उदासीन बना हुआ है। केवल लेटलतीफी करके मामले को उलझाना चाहता है और कोर्ट में भी सही तरीके से न तो जवाब दाखिल कर रहा है और ना तो हमारा सहयोग कर रहा है।
लॉकरधारियों ने पुलिस अधीक्षक से अनुरोध किया कि जिस तरह से चोर को पकड़ने में आप लोगों ने अलग-अलग जिले की घटनाओं का सहारा लिया है। उसी तरह से मुआवजे के भुगतान में अलग-अलग जगहों की नजीर को देखते हुए बैंक प्रबंधन पर दबाव बनाएं और मामले को जल्द से जल्द सुलझाने की पहल करें।
इसके साथ ही साथ मामले में बैंक की जांच रिपोर्ट तलब करके मामले में बैंक के लापरवाह अफसरों व बैंक कर्मचारियों को मामले में अभियुक्त बनाकर कार्रवाई शुरू करेंगे तभी बैंक प्रबंधन इस मामले में मुआवजा देने को राजी होगा। अभी तक पुलिस की जांच पड़ताल में बैंक पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी है, सिर्फ बैंक की बातें मानकर मामले में उनकी तहरीर के हिसाब से जांच पड़ताल की गयी है।
मुलाकात करने वालों में विजय तिवारी, आरके सिंह, दिनेश सिंह, रेखा सिंह, रामेश्वर सिंह, सुदर्शन सिंह समेत कई लॉकरधारी शामिल थे।
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