ओमप्रकाश सिंह का बड़ा बयान पुलिस प्रताड़ना से मरी निशा तो क्यों नहीं लगा 302 का आरोप
चंदौली जिले के मनराजपुर गांव में के वरिष्ठ नेता व पूर्व सिंचाई मंत्री ओमप्रकाश सिंह निशा हत्याकांड के मामले में पिता से मिलकर सारे हालात को जाना और हक के लिए साथ देने की बात कही वहीं उन्होंने कहा कि जिला अधिकारी द्वारा जिला बदर की जो कार्यवाही की गई है मानक विहीन नहीं है जो कि इस कार्यवाही पर सवालिया निशान है।
बताते चलें कि सैयद राजा थाना क्षेत्र के मनराजपुर में दबिश के बाद निशा हत्या का मामला सामने आने के बाद पुलिस पर आरोप-प्रत्यारोप का क्रम अभी जारी है। वही इस घटना में शोकाकुल परिवार को शक्ति प्रदान करने व न्याय की लड़ाई लड़ने में अपना सहयोग देने के लिए प्रतिदिन नेता वह समाजसेवी उनसे मिलकर शोक व्यक्त करने का कार्य कर रहे हैं कल मिलने के लिए भीम आर्मी सेना के संस्थापक चंद शेखर आजाद रावण तथा आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह भी आए और उचित कार्यवाही न किए जाने पर भीम आर्मी सेना के संस्थापक ने 72 घंटे बाद चंदौली में धरना प्रदर्शन करने की बात कही उसके बाद आज इसी क्रम में सपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री ओमप्रकाश सिंह भी पीड़ित परिवार से मिलने के लिए आए और सारी बातों को सुनने के बाद उन्हें कहा कि जो योगी सरकार का बुलडोजर अपराधियों पर चलाने की बात कही जा रही थी अब कहां गया।
वहीं उन्होंने यह भी कहा कि जिलाधिकारी द्वारा छोटे मामलों पर जिला बदर की कार्यवाही जोक कन्हैया के ऊपर की गई है वह कहीं ना कहीं सवालिया निशान खड़ा करती है। क्योंकि कन्हैया कोई अपराधी नहीं है वह अपने जीने खाने के लिए थोड़ा बालू इकट्ठा करके अपना जीव का पालनकरता था। यहां तो सबसे बड़ा खेल नौबतपुर में जीएसटी चोरी और राज्य स्तर की तस्करी का चलती हैं । जिस पर पुलिस का ध्यान नहीं जा रहा है वहीं छोटे से मामले में पुलिस द्वारा कन्हैया यादव को जिला बदर करने के बाद पुलिस को ज्ञात था कि उसका पिता जिले से बाहर है तो पुलिस दोनों लड़कियों की हां इस नियत से दबिश देने गई थी। यह सब मामला कहीं ना कहीं पुलिस के जांच पर सवालिया निशान खड़ा करता है ।
उन्होंने उदाहरण के तौर पर बताया कि हमारे यहां बीटेक किए हुए ग्राम प्रधान है जिस पर झड़प के मामले में जिला बदर कर दिया और क्या बताएं नौबतपुर में कौन खनन से बड़ा आदमी बना है। इसकी 6 साल बाद भी सरकार के पास जानकारी नहीं है तो यह बहुत बड़ा दुखद बात है ।इस मामले में पुलिस अपने को बचाने लगी है काकी खाकी को कैसे बचाएं ।पुलिस को जब अकेली लड़कियां हैं तो उन्हें आना ही नहीं चाहिए था लड़की अभी जिंदगी के अभी 20वा सावन भी देखी होगी और यह तो मरी नहीं होगी तो पुलिस प्रताड़ना से ही मरी है। इससे यह साबित होता है कि पुलिस के ऊपर 302 नहीं लगा तो यह सिद्ध होता है कि कहीं ना कहीं पुलिस अपने लोगों को बचाने में लगी है
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