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मारूफपुर चौकी के सिपाहियों का खेल, 2 हजार लेकर पास कराए जाते हैं ट्रक, देख लीजिए वीडियो

मारूफपुर  पुलिस चौकी के सिपाहियों द्वारा डेढ़ से 2000 हजार रुपए लेकर ट्रकों को आधी रात के बाद बैरियर को हटाकर पास कराया जाता है और तत्काल ट्रक चालकों से ही बैरियर लगवा दिया जाता है।
 

गंगापुल पर गाड़ियां पार कराने के लिए रिश्वतखोरी, अलग-अलग तरीके से लगायी जाती है ड्यूटी, कैमरे में कैद हो गयी है पूरी तस्वीरें  

  चंदौली जनपद के बलुआ थाना के मारूफपुर चौकी के सिपाहियों द्वारा रात के अंधेरे में काले कारनामे करने का एक ताजा मामला प्रकाश में आया है, जिसमें गंगापुल से वाहनों को अवैध तरीके से पैसे लेकर पार कराने की कोशिश की जा रही है। यह चंदौली जिले के तथाकथित आदेशों को ठेंगा दिखाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते हैं।

आपको बता दें कि चंदौली जिले के सैदपुर गंगापुल से भारी वाहनों को रोकने के लिए लोहे का बैरियर मारूफपुर पुलिस चौकी में लगा दिया था। इस बैरियर को आधी रात के बाद  हटाकर भारी वाहनों को पास कराया जा रहा है। पूरा कारनामा कैमरे में कैद हो गया है।

 वीडियो में आप देख सकते हैं कि किस तरह ट्रक चालक व सिपाही बैरियर को लाइट के प्रकाश से हटवा रहे हैं और उसके बाद गाड़ियों को पास कराया जा रहा है। चोरी चुपके मारूफपुर  पुलिस चौकी के सिपाहियों द्वारा डेढ़ से 2000 हजार रुपए लेकर ट्रकों को आधी रात के बाद बैरियर को हटाकर पास कराया जाता है और तत्काल ट्रक चालकों से ही बैरियर लगवा दिया जाता है। यह कार्य पूरी रात जब भी भारी वाहन आते हैं, तो अपनी जेब गर्म करके होता रहता है।

 हालांकि इस संबंध में ट्रक चालकों ने केवल इतना ही बताया कि गाजीपुर जाने के लिए यह रास्ता नजदीक पड़ता है, इसलिए हम लोग जुगाड़ से चौकी के सिपाहियों के माध्यम से पैसा देकर निकल जाते हैं। इस पूरे खेल में मारूफपुर पुलिस चौकी के इंचार्ज सहित पूरा स्टाफ शामिल रहता है। 

mujafarpur police chauki

कहा जा रहा है कि यहां पर प्रतिदिन सिपाहियों की अलग-अलग ड्यूटी लगाई जाती है, ताकि इसका फायदा चौकी पर तैनात पुलिस वालों को भी मिल सके।  बीती रात भी ट्रकों को लोहे के बैरियर हटाकर पास कराया जा रहा था।

 पुलिस अधीक्षक अंकुर अग्रवाल जहां लगातार पुलिस की साफ-सुथरी छवि बनाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। वहीं पुलिसकर्मियों द्वारा रात के अंधेरे में अवैध कमाई का कार्य गाहे-बगाहे लगातार किया जा रहा है। ऐसा लगता है कि मातहत या तो आला अधिकारियों के फरमान को नहीं मानना चाहते हैं या फिर बैकडोर से सारे लोग इस खेल में शामिल हैं केवल जनता को बेवकूफ बनाने के लिए इमानदारी का नाटक किया जाता है।

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