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सुरक्षित जच्चा–बच्चा की निभाएं ज़िम्मेदारी – डॉ आर बी शरण

चंदौली जिले में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए प्रसव पूर्व व पश्चात विशेष देखभाल की जरूरत होती है । 
 

गर्भावस्था में नियमित जांच व पोषण का रखें खास ख्याल

चंदौली जिले में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए प्रसव पूर्व व पश्चात विशेष देखभाल की जरूरत होती है ।  इसके लिए जरूरी है कि गर्भवतीनियमित स्वास्थ्य जांच कराएं व पोषण का खास ख्याल रखें ।  इससे सुरक्षित प्रसव के साथ बच्चा भी स्वस्थ रहेगा ।  यह कहना है अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आर बी शरण का है  ।  

डॉ.  शरण ने कहा कि  गर्भधारण का पता चलते ही, गर्भवती को प्रसव पूर्व देखभाल के लिए पहली बार स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर पंजीकरण  कराना चाहिए, जिससे आशा कार्यकर्ता की मदद से घर के नजदीक केंद्र पर नियमित जांच व परामर्श मिलता रहे। इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान किसी प्रकार की समस्या होने पर तुरंत चिकित्सक से सलाह ले सकें । प्रसव पूर्व जाँच व देखभाल से मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में काफी हद तक कमी लायी जा सकती है।

 उन्होने बताया कि जिले में अप्रैल 2021 से जनवरी 2022 तक 21,232 संस्थागत प्रसव की सुविधा प्रदान की  गई ।  इसके साथ ही राजकीय महिला चिकित्सालय (डीडीयू) पर 706 सुरक्षित प्रसव कराए  गए । 

राजकीय महिला चिकित्सालय (डीडीयू) की स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉ महिमा नाथ ने कहा कि गर्भावस्था की प्रथम तिमाही अथवा 12 सप्ताह में स्वास्थ्य केन्द्र पर जाना चाहिए जिससे गर्भवती के स्वास्थ्य की जानकारी व नियमित जांच व पोषण संबंधी जानकारी मिल सके  । 

Safe Mother and Child tips Dr R B Sharan

 गर्भावस्था के दौरान उचित देखभाल के साथ ही गर्भवती को दिनभर में कम से कम 5 बार खाना खाने की सलाह दी जाती है जिसमें से तीन बार मुख्य भोजन और दो बार पौष्टिक नाश्ता करना जरूरी है।  प्रतिदिन के आहार में  पौष्टिक भोजन शामिल करना चाहिए,  जैसे - हरी पत्तेदार सब्जी, विटामिन सी युक्त खाद्य पदार्थ, साबुत  दालें और फलियां, अनाज जैसे बाजरा, ज्वार, रागी और दूध या दूध से  बनी चीज़ें गर्भवती को अवश्य ही खानी चाहिए।

डॉ महिमा नाथ ने बताया कि गर्भावास्था के दौरान शरीर को आयरन की जरूरत ज्यादातर होती है, इसलिए लाल आयरन (आईएफए) की गोलियों का सेवन करें । आयरन की कमी से चक्कर, समय से पहले प्रसव और जटिल प्रसव की संभावना बढ़ जाती हैI आयरन की कमी गर्भस्थ शिशु के शारीरिक और मानसिक विकास में भी बाधक बन सकती है। 

आयरन की कमी को पूरा करने के लिए आयरन युक्त भोजन के साथ प्रतिदिन आयरन की गोली खाने की जरूरत होती है। इसे शिशु के जन्म के छह महीने बाद तक जारी रखना चाहिए। जिन्हें एनीमिया नहीं है उन्हें भी रोजाना लाल आयरन टैबलेट का सेवन करना चाहिए। लाल आयरन की गोलियां न केवल एनीमिया को कम करती हैं बल्कि भ्रूण के मस्तिष्क के विकास के लिए भी फायदेमंद होती हैं। 

 उन्होने कहा कि डॉक्टर की सलाह अनुसार विटामिन और आयरन की गोलियां नियमित समय पर लेना चाहिए। कुछ गर्भवती को आयरन की गोली खाने के बाद मितली, चक्कर आने आदि दिक्कतें होती हैं। इससे बचने के लिए भोजन के एक घंटे बाद गोली का सेवन करें। गोलियाँ लेना बंद न करें। 
 

विशेष ध्यान – गर्भवती को उपवास नहीं करना चाहिए। सब्जियों का सूप और जूस लेना चाहिए। बाजार में मिलने वाले रेडीमेड सूप व् जूस का उपयोग न करें। फास्टफूड, ज्यादा तला हुआ और मसालेदार खाने से परहेज करना चाहिए। बाहर का खाना खाने से बचना चाहिए ।  लंबी दूरी की यात्रा न करें ।  हल्का- फुल्का व्यायाम अवश्य करें।  दिन के समय कम से कम दो घंटे का आराम करना चाहिए और रात में 6 से 10 घंटे सोना चाहिए। इससे पल रहे शिशु को रक्त की आपूर्ति में वृद्धि होती है।

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