भतीजा गांव के तारकेश्वर पासवान हत्याकांड पर बसपा का रिएक्शन, न्याय दिलाने के लिए अमित लाला ने किया संघर्ष का ऐलान

बिहार के खजुरा में हुई हत्या से गांव में आक्रोश
पुलिस के रवैए पर पीड़ित परिवार ने जताई नाराज़गी
बसपा प्रत्याशी रहे अमित यादव ने परिजनों से मिलकर दिया न्याय का भरोसा
चंदौली जनपद के भतीजा गांव निवासी तारकेश्वर पासवान की हत्या की घटना ने स्थानीय स्तर पर आक्रोश और दुख का माहौल पैदा कर दिया है। यह हत्या बिहार के खजुरा इलाके में की गई, जहां पासवान किसी कार्य से गए हुए थे। हत्या के बाद लगातार जनप्रतिनिधियों द्वारा पीड़ित परिवार को आश्वासन देने का सिलसिला जारी है, लेकिन अभी तक पीड़ितों को न्याय नहीं मिला है। इसी क्रम में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के जिला अध्यक्ष के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने मृतक तारकेश्वर पासवान के परिजनों से मुलाकात की और उन्हें न्याय दिलाने का भरोसा दिलाया।

आपको बता दें कि प्रतिनिधिमंडल में सैयदराजा विधानसभा से बसपा प्रत्याशी अमित यादव, वाराणसी मंडल प्रभारी डॉ. विनोद कुमार, जिला अध्यक्ष घनश्याम प्रधान सहित अन्य प्रमुख कार्यकर्ता शामिल थे। प्रतिनिधिमंडल ने पीड़ित परिवार के सदस्यों से मिलकर पूरी घटना की जानकारी ली और उनकी समस्याओं को गंभीरता से सुना। इसके साथ ही प्रतिनिधिमंडल ने न केवल हत्यारों को कड़ी सजा दिलाने की मांग की बल्कि पीड़ित परिवार को आर्थिक मुआवजा दिए जाने की भी मांग सरकार से की।

इस अवसर पर वाराणसी मंडल प्रभारी डॉ. विनोद कुमार ने कहा कि बसपा सदैव शोषितों और पीड़ितों के साथ खड़ी रही है और इस बार भी पार्टी पूरी ताकत के साथ पीड़ित परिवार के लिए न्याय की लड़ाई लड़ेगी। उन्होंने कहा कि चाहे उत्तर प्रदेश सरकार हो या बिहार सरकार, बसपा दोनों सरकारों पर दबाव बनाएगी ताकि दोषियों को सजा मिले और परिवार को न्याय।
सैयदराजा विधानसभा से प्रत्याशी अमित यादव ने परिवार को ढांढस बंधाते हुए कहा कि वह इस लड़ाई में उनके साथ खड़े हैं। उन्होंने कहा कि यदि न्याय के लिए बसपा सुप्रीमो बहन मायावती तक भी जाना पड़ा तो वह पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने कहा कि हम सड़क से लेकर सदन तक इस मुद्दे को उठाएंगे और दोषियों को सजा दिलवाकर ही दम लेंगे।
बसपा जिला अध्यक्ष घनश्याम प्रधान ने इस अवसर पर कहा कि बहुजन समाज पार्टी का इतिहास रहा है कि उसने सदैव दलित, पिछड़े और शोषित समाज को न्याय दिलाने का काम किया है। बहन मायावती के नेतृत्व में जब-जब बसपा की सरकार बनी, दलितों को न्याय मिला। उन्होंने कहा कि आज अपराधियों के हौसले इतने बुलंद हो चुके हैं कि वे खुलेआम हत्याएं कर रहे हैं और पुलिस मामले को दबाने में जुट जाती है।
घनश्याम प्रधान ने आरोप लगाया कि वर्तमान समय में बिहार सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार, दोनों ही राज्यों में कानून व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। उन्होंने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो बसपा कार्यकर्ता सड़क पर उतर कर प्रदर्शन करेंगे और तब तक संघर्ष करेंगे जब तक मृतक तारकेश्वर पासवान को न्याय नहीं मिल जाता।
इस दौरान मृतक के परिजनों ने भी अपने दुःख और रोष को व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि बिहार पुलिस की भूमिका संदिग्ध रही है। उनके अनुसार पुलिस शुरू में इस पूरे मामले को शराब तस्करी से जोड़कर दबाने की कोशिश कर रही थी और मृतक को बदनाम करने की साजिश की जा रही थी। परिजनों ने आरोप लगाया कि पुलिस द्वारा उन्हें बार-बार पूछताछ के लिए बुलाया जाता है, जिससे उन्हें मानसिक प्रताड़ना झेलनी पड़ रही है।
हालांकि बिहार पुलिस की ओर से दो अभियुक्तों को गिरफ्तार कर जेल भेजने की कार्यवाही की गई है, लेकिन अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी अभी तक नहीं हो पाई है। परिजनों का कहना है कि वे न्याय की उम्मीद लेकर लगातार प्रशासनिक अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से संपर्क कर रहे हैं, लेकिन अब तक उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिले हैं।
बसपा प्रतिनिधिमंडल ने यह भी स्पष्ट किया कि इस हत्या को जातीय और सामाजिक दृष्टिकोण से भी देखा जाना चाहिए, क्योंकि मृतक दलित समुदाय से संबंधित थे और उन्हें योजनाबद्ध तरीके से निशाना बनाया गया है। प्रतिनिधिमंडल ने यह मांग की कि मामले की निष्पक्ष जांच के लिए एक विशेष जांच टीम (SIT) का गठन किया जाए और जांच की निगरानी उच्च न्यायालय या किसी स्वतंत्र संस्था से कराई जाए।
प्रतिनिधिमंडल ने यह भी कहा कि पीड़ित परिवार की आर्थिक स्थिति काफी दयनीय है और उन्हें सरकार की ओर से राहत राशि अविलंब प्रदान की जाए। इसके साथ ही परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की भी मांग की गई है ताकि परिवार का भरण-पोषण हो सके और उन्हें सामाजिक सम्मान के साथ जीने का अधिकार मिल सके।
पूरा घटनाक्रम क्षेत्रीय राजनीति और प्रशासनिक संवेदनशीलता की पोल खोलता है। यह घटना केवल एक परिवार की पीड़ा नहीं है, बल्कि समाज के उस वर्ग की पीड़ा है जिसे आज भी न्याय के लिए संघर्ष करना पड़ता है। यदि समय रहते इस प्रकार की घटनाओं पर कड़ी कार्रवाई नहीं की गई तो आम जनता का विश्वास कानून व्यवस्था से उठ जाएगा।
बसपा ने यह संदेश स्पष्ट रूप से दिया है कि वह दलितों और शोषितों के साथ है और हर हाल में उन्हें न्याय दिलाने के लिए संघर्ष करती रहेगी। प्रतिनिधिमंडल का यह दौरा न केवल एक सांत्वना यात्रा था, बल्कि एक सामाजिक और राजनीतिक चेतावनी भी थी कि अब अन्याय सहन नहीं किया जाएगा।
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