जिले का पहला ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टलMovie prime

सैयदराजा नेशनल इंटर कॉलेज में भ्रष्टाचार के खिलाफ अध्यापकों का सत्याग्रह आंदोलन

उप प्रधानाचार्य तिवारी के अनुसार, आंदोलनकारियों ने अपनी 11 सूत्री मांगों की सूची पहले ही प्रबंध समिति को सौंप दी थी, लेकिन उस पर कोई संज्ञान नहीं लिया गया।
 

भ्रष्टाचार के खिलाफ 18 मार्च से आंदोलनरत हैं वरिष्ठ शिक्षक

प्रबंध समिति और प्रधानाचार्य पर लगाए गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप

शिक्षा विभाग की भूमिका पर उठे सवाल

चंदौली जिले के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान सैयदराजा नेशनल इंटर कॉलेज में इन दिनों गहरा असंतोष व्याप्त है। विद्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार के विरुद्ध आवाज उठाते हुए कॉलेज के वरिष्ठ अध्यापकों ने 18 मार्च 2025 से सत्याग्रह आंदोलन शुरू कर दिया है। इस आंदोलन की अगुवाई उप प्रधानाचार्य उमेश चंद तिवारी सहित पांच वरिष्ठ अध्यापक कर रहे हैं। उनका कहना है कि विद्यालय की प्रबंध समिति और प्रधानाचार्य इमली भगत द्वारा गंभीर भ्रष्टाचार किया जा रहा है, जिसे उजागर करने के उद्देश्य से यह आंदोलन किया जा रहा है।

उप प्रधानाचार्य तिवारी के अनुसार, आंदोलनकारियों ने अपनी 11 सूत्री मांगों की सूची पहले ही प्रबंध समिति को सौंप दी थी, लेकिन उस पर कोई संज्ञान नहीं लिया गया। इन मांगों में वित्तीय अनियमितताओं की जांच, नियुक्तियों में पारदर्शिता, विद्यार्थियों के हित में संसाधनों का उचित उपयोग तथा शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित कर रही समस्याओं का समाधान शामिल है। तिवारी ने स्पष्ट किया कि आंदोलन का उद्देश्य किसी व्यक्ति विशेष को निशाना बनाना नहीं, बल्कि संस्था की गरिमा और पारदर्शिता को बनाए रखना है।

प्रधानाचार्य अनिल कुमार सिंह ने इस संदर्भ में बताया कि उन्होंने अध्यापकों से कई बार वार्ता कर आंदोलन समाप्त करने का प्रयास किया, लेकिन अध्यापक इसे प्रबंध तंत्र के खिलाफ लड़ाई बताते हुए सत्याग्रह जारी रखने पर अड़े रहे। प्रधानाचार्य ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि विद्यालय अब बंद कर दिया गया है, ऐसे में देखना होगा कि यह आंदोलन किस दिशा में जाता है – क्या विद्यालय खुलने के बाद भी अध्यापक इसी तरह सत्याग्रह पर बैठते रहेंगे, या प्रबंध समिति उनकी मांगों पर विचार कर उचित कार्रवाई करेगी।

इस सत्याग्रह ने पूरे जनपद का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। शिक्षकों के अनुसार वे शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन कर रहे हैं और जब तक उनकी मांगों पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया जाता, तब तक वे पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। इस आंदोलन ने न केवल शिक्षा जगत में पारदर्शिता की मांग को रेखांकित किया है, बल्कि यह भी सिद्ध किया है कि जब शिक्षक अपनी आवाज उठाते हैं, तो वह केवल अपने लिए नहीं, बल्कि संपूर्ण शिक्षण व्यवस्था के सुधार के लिए होती है।

अब यह देखना शेष है कि प्रबंध समिति इस गंभीर आंदोलन को कितनी गंभीरता से लेती है और कितनी तत्परता से समाधान की दिशा में कदम उठाती है। यदि मांगों पर जल्द निर्णय नहीं लिया गया, तो यह आंदोलन शिक्षा व्यवस्था को प्रभावित कर सकता है और छात्रों का भविष्य अधर में पड़ सकता है। ऐसे में प्रशासन की भूमिका भी अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है कि वह इस विवाद को निष्पक्ष तरीके से सुलझाए और शिक्षा व्यवस्था को सुचारु रूप से संचालित करने में मदद करे।

चंदौली जिले की खबरों को सबसे पहले पढ़ने और जानने के लिए चंदौली समाचार के टेलीग्राम से जुड़े।*