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अब चंदौली जिले के 7649 लोगों को देना होगा गोलियों का हिसाब, कहां खर्च किए जनाब

tds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_show त्यौहारी सीजन व पंचायत चुनाव के पहले अपराध जगत में गोलियों की आपूर्ति की जड़ों का खंगालने के लिए शासन स्तर से कड़े कदम उठाये जा रहे हैं। लाइसेंसधारी असलहाधारकों को जारी गोलियों का ब्यौरा एकत्र किया जा रहा है। यदि किसी ने गोलियां कहीं खर्च की हैं तो उसका भी हिसाब उन्हें देना पड़ेगा।
 
अब चंदौली जिले के 7649 लोगों को देना होगा गोलियों का हिसाब, कहां खर्च किए जनाब

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त्यौहारी सीजन व पंचायत चुनाव के पहले अपराध जगत में गोलियों की आपूर्ति की जड़ों का खंगालने के लिए शासन स्तर से कड़े कदम उठाये जा रहे हैं। लाइसेंसधारी असलहाधारकों को जारी गोलियों का ब्यौरा एकत्र किया जा रहा है। यदि किसी ने गोलियां कहीं खर्च की हैं तो उसका भी हिसाब उन्हें देना पड़ेगा। ऐसे में लाइसेंसी पिस्टल से हवा में फायर कर रौब गांठने वालों के मुश्किलें खड़ीं हो सकती हैं।

चंदौली जिले में तकरीबन 7649 लोगों के पास असलहा रखने का लाइसेंस है। इसमें पिस्टल, रिवाल्वर और बंदूक के लाइसेंस शामिल है।

शासन की ओर से निजी सुरक्षा के लिए मानकों के आधार पर वैध तरीके से असलहा रखने के लिए लाईसेंस दिया जाता है। इसके साथ ही वैध असलहाधारी को गोलियों का आवंटन भी होता है। लाइसेंसधारक अपने लाइसेंस पर जारी गोलियों को खरीदकर कई जगह दे भी देते हैं। वहीं कई रौब गांठने के लिए हवाई फायर भी किया जाता है।

इसी तरह की गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए लाईसेंसधारकों से जारी गोलियों का ब्यौरा एकत्र किया जा रहा है। वहीं खर्च की गई गोलियों का हिसाब भी मांगा जा रहा है।

पुलिस की ओर से कहा जाता है कि पुलिस कई बार अवैध असलहा फैक्ट्री का भंडाफोड़ तो किया जाता है लेकिन अपराधियों तक गोलियां कहां से पहुंचती है, इसका सुराग नहीं लग पाता है। सूत्रों का कहना है कि अपराध जगत में अधिकतर उन्हीं अवैध असलहों इस्तेमाल होता है जिनकी गोलियां आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं। अपराधी अक्सर .32, 315, 312 बोर एवं नाइन एमएम असलहों का इस्तेमाल करते हैं।

अवैध असलहा बनाने वाले भी इन्हीं बोर के असलहों को ही बनाते हैं। इन बोर के असलहों की गोलियों विभिन्न माध्यमों से अवैध तरीके से अपराधियों तक आसानी से पहुंच जाती हैं।

कई असलहें ऐसे है जिनका इस्तेमाल सिर्फ पुलिस और सेना या फिर सरकारी स्तर पर सुरक्षा एजेंसियों में इस्तेमाल किया जाता है। जिनका लाइसेंस पब्लिक को जारी नहीं किया जाता है। जिला प्रशासन की ओर से लोगों को आवश्यक प्रक्रिया के बाद .32, .30, 315, 312 और .22 बोर के असलहों के रखने व इस्तेमाल का अधिकार वैध लाईसेंस के साथ दिया जाता है।

पुलिस अधीक्षक हेमंत कुटियाल का कहना है कि लाईसेंस धारकों को जारी गोलियों का ब्यौरा एकत्र किया जा रहा है। लाईसेंसधारक को जारी व खर्च हुई गोलियों के ब्यौरों को लेकर संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर जांच कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी, क्योंकि असलहा व गोलियां सुरक्षा के लिए दी जाती हैं, गैर कानूनी कार्यों को लिए नहीं।

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