ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट का अटका संचालन, धूल फांक रहीं बंद पड़ी मशीनें
यहां फेल हो जाती है डबल इंजन की सरकार
नेताओं को भी भौकाल से फुरसत नहीं
विभाग ने अगस्त 2021 में यूनिट लगाने के लिए भेजा था शासन को प्रस्ताव
न जाने कहां अटकी है फाइल
कौन करेगा इसके लिए पहल और मेहनत
चंदौली जिले के जिला अस्पताल में स्थापित ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट का लाइसेंस अभी तक नहीं मिला है। मशीनें धूल फांक रहीं और जरूरतमंदों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा। मानक पूर्ण होने के बाद भी इसका संचालन अटका हुआ है।
जबकि जिले में डेंगू की दस्तक हो चुकी है। अब तक सात पाजीटिव मरीज मिल चुके हैं। यदि समय रहते लाइसेंस नहीं मिला तो डेंगू के मरीजों को प्लेटलेट्स के लिए निजी ब्लड बैंक या बाहर की दौड़ लगानी होगी।
जिला अस्पताल के ब्लड बैंक में ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन की सुविधा नहीं थी। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने अगस्त 2021 में शासन को यूनिट लगाने के लिए प्रस्ताव भेजा था। इसकी मंजूरी मिलने पर शासन ने इसके निर्माण के लिए 7.50 लाख रुपये दिए थे। फरवरी 2022 में इसका भवन तैयार हो गया। इसके दो माह बाद एक मशीन जिला अस्पताल में आई थी। धीरे-धीरे सभी मशीनें भी मिल गईं। मशीनें लगने के बाद टीम आई और निरीक्षण किया। इसके बाद से स्वास्थ्य विभाग लाइसेंस के लिए प्रतीक्षा कर रहा है। बेहतर चिकित्सा सेवा के लिए जनपद की 24.25 लाख के लगभग आबादी की निर्भरता जिला अस्पताल के ब्लड बैंक में ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट दो साल बाद भी शुरू नहीं हो सकी है। जिला अस्पताल में आने वाले डेंगू, मलेरिया के पीड़ितों को ब्लड में रेड ब्लड सेल, प्लाज्मा और प्लेटलेट्स आदि कंपोनेंट की सुविधा नहीं मिल पाती है।
इस दौरान ब्लड बैंक प्रभारी डा. दिनेश सिंह ने बताया कि यूनिट में 40 व-80 डिग्री सेल्सियस तापमान पर प्लाज्मा रखने के लिए एक रेफ्रिजरेटर है। इसके अलावा ब्लड बैंक रेफ्रिजरेटर है। इसमें दो से छह डिग्री सेल्सियस पर ब्लड रखा जाता है। एक एलाइजा रीडर वास्टर और रेफ्रिजरेटर सेंटीफ्यूज आदि मशीनें हैं।
सेपरेशन यूनिट में ब्लड के कंपोनेंट अलग किए जाते हैं। जरूरत के हिसाब से मरीजों को आरबीसी, प्लाज्मा, प्लेटलेट्स आदि चढ़ाया जाता है। डेंगू के मरीजों को प्लेटलेट्स के लिए निजी ब्लड बैंक की लगानी पड़ती है दौड़, जरूरतमंदों को नहीं मिल पा रहा लाभ 7.50 लाख की लागत से जिला अस्पताल में बनकर तैयार है भवन 24.25 लाख लगभग निर्भरता है इस अस्पताल पर 6 ब्लड
सेपरेशन यूनिट का सभी काम हो चुका है। दिल्ली की टीम आई थी। जो आपत्तियां थीं, उन्हें ठीक कर लिया गया है। लाइसेंस के लिए प्रस्ताव भेजा जा चुका है। लाइसेंस मिलते ही यूनिट का संचालन शुरू हो जाएगा। निकाले गए ब्लड के प्रत्येक तत्व की अलग-अलग अवधि होती है। एक यूनिट ब्लड से तीन से चार लोगों की जरूरत पूरी हो जाता है।
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