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इस कारण फेल रहा पहले दिन चंदौली का कंट्रोल रूम, दिन भर बजते रहे फोन

tds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_show चंदौली जिले में बिजली आपूर्ति सुचारू रखने के लिए कलेक्ट्रेट में बनाए गए कंट्रोल रूम में आने वाली शिकायतों के निस्तारण में जिला प्रशासन पहले ही दिन लचर तरीके के तैयारी के कारण फेल रहा और आगे भी इसी तरह की संभावनाएं हैं। बताया जा रहा है कि कंट्रोल रूम में शाम तक आपूर्ति बाधित
 
इस कारण फेल रहा पहले दिन चंदौली का कंट्रोल रूम, दिन भर बजते रहे फोन

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चंदौली जिले में बिजली आपूर्ति सुचारू रखने के लिए कलेक्ट्रेट में बनाए गए कंट्रोल रूम में आने वाली शिकायतों के निस्तारण में जिला प्रशासन पहले ही दिन लचर तरीके के तैयारी के कारण फेल रहा और आगे भी इसी तरह की संभावनाएं हैं।

बताया जा रहा है कि कंट्रोल रूम में शाम तक आपूर्ति बाधित होने से संबंधित 50 से अधिक शिकायतें आईं। लेकिन जिला प्रशासन अधिकांश शिकायतों के निस्तारण में फेल रहा। शटडाउन न मिलने की वजह से संविदाकर्मी तकनीकी खराबी को दुरुस्त नहीं कर पाए। इससे लोगों की समस्या हल होते नहीं दिखी।

बिजलीकर्मियों की हड़ताल के मद्देनजर जिलाधिकारी के निर्देश पर कलेक्ट्रेट में कंट्रोल रूम बनाया गया है। यहां आठ-आठ घंटे की शिफ्ट में शिकायतें सुनने के लिए कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है। इसके अलावा छह जोनल, 34 सेक्टर और 102 स्टैटिक मजिस्ट्रेट को बिजली आपूर्ति सुचारू रखने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। बिजली आपूर्ति बाधित होने पर लगातार फोन आते रहे। कर्मियों को मजिस्ट्रेट की सूची सौंपी गई। कर्मी मजिस्ट्रेट को फोन कर तकनीकी खराबी की सूचनाएं देते रहे। लेकिन अनुभव की कमी होने और बिजली कर्मियों के असहयोग के चलते प्रशासनिक अधिकारी तकनीकी खराबी को ठीक कराने में नाकाम रहे। इससे लोगों को तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा।

ऐसे में एक ही शिकायतकर्ता का फोन बार-बार कंट्रोल रूम में आता रहा। दरअसल, कई घंटे तक बिजली आपूर्ति ठप होने से लोगों के इनवर्टर दगा दे गए। इससे आमजन के साथ ही साइबर कैफे, दुकानदारों, सरकारी दफ्तरों में भी लोगों को तमाम तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा। कोरोना काल में बिजली गुल होने से व्यापारियों का धंधा भी चौपट हुआ।

बिजली आपूर्ति सुचारू रखने के लिए मजिस्ट्रेट की ड्यूटी लगाने में गड़बड़ी सामने आई है। एक अफसर को छह-छह उपकेंद्रों की जिम्मेदारी सौंप दी गई। जबकि जेई को सेक्टर और जनपद स्तरीय अधिकारियों को स्टैटिक मजिस्ट्रेट बना दिया गया। इसको लेकर अफसरों में नाराजगी देखने को मिली। बोले, विभागीय कामकाज को निबटाने की भी जिम्मेदारी है। ऐसे में आधा दर्जन उपकेंद्रों की बिजली व्यवस्था की निगरानी करना संभव नहीं।

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