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आंगनवाड़ी को गोद लेकर भूल गए नेता व अफसर, नहीं बदली आंगनबाड़ी केंद्रों की हालत

चंदौली जिले में आंगनबाड़ी केंद्रों की व्यवस्था को सुदृढ़ करने व कुपोषित बच्चों को स्वस्थ बनाने के लिए शासन के निर्देश पर जिले के अधिकारी व जनप्रतिनिधियों ने 800 आंगनबाड़ी केंद्रों को गोद लिया हैं
 

कैसे मिलेगी पोषण अभियान को गति

कुपोषित बच्चों को नहीं मिला केंद्रों पर कोई खास लाभ

1877 आंगनबाड़ी केंद्रों पर तैनात हैं 1440 कार्यकर्ता

अब इन पर पोषण अभियान को सफल बनाने का जिम्मा

चंदौली जिले में आंगनबाड़ी केंद्रों की व्यवस्था को सुदृढ़ करने व कुपोषित बच्चों को स्वस्थ बनाने के लिए शासन के निर्देश पर जिले के अधिकारी व जनप्रतिनिधियों ने 800 आंगनबाड़ी केंद्रों को गोद लिया हैं, लेकिन गोद लेने के एक वर्ष बाद भी आंगनवाड़ी केंद्रों की सूरत में बदलाव नहीं आया है। न तो पोषण अभियान को गति मिल रही और न ही कुपोषित बच्चों को ही केंद्र का लाभ मिल पा रहा है। 


दरअसल जनपद में वर्तमान में 1877 आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन किया जा रहा है। इसमें पूर्व के 1827 व 50 नए केंद्र शामिल हैं। इन केंद्रों पर 1440 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के साथ 213 मिनी कार्यकर्ताओं की तैनाती की गई है। वहीं केंद्रों पर 1397 सहायिकाओं की तैनाती की गई है। इसमें 253 सहायिका का पद रिक्त है। कुपोषित बच्चों की संख्या पर गौर करें तो 801 बच्चे लाल, 44 पीला व 240 बच्चे सैम की श्रेणी में हैं। सामान्य बच्चों की संख्या एक लाख 94 हजार 988 है। 


सरकार की ओर से इन बच्चों को पोषण से संबंधित सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं, ताकि कोई भी बच्चा कुपोषित न रहने पाए। इस कड़ी में पोषण अभियान को और गति प्रदान करने के लिए शासन ने जनपद के अफसरों व जनप्रतिनिधियों को आंगनबाड़ी केंद्रों को गोद लेने का निर्देश दिया था, ताकि अभियान को और सफल बनाया जा सके। अफसर व जनप्रतिनिधियों की यह जिम्मेदारी तय की गई थी कि वह गोद लिए आंगनबाड़ी केंद्रों का भ्रमण कर यह सुनिश्चित करेंगे कि सरकार की ओर से जो सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं, वह बच्चों तक पहुंच रही हैं कि नहीं। बच्चों को समुचित पोषाहार के साथ अन्य सुविधाओं का लाभ मिल पा रहा कि नहीं। इससे व्यवस्था में और सुधार आएगा, लेकिन विडंबना कि ठोस पहल नहीं हो पा रही है।


इस सम्बंध में जिलाधिकारी निखिल टीकाराम फुंडे का कहना है कि आंगनबाड़ी केंद्रों में व्यवस्था में सुधार को लेकर निरंतर प्रयास किया जा रहा है, ताकि नौनिहालों को लाभ मिल सके और कुपोषण को दूर किया जा सके।

                                                                                                                                                                                                                                             

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