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जिले में 26 सितंबर तक मनेगा डिमेंशिया जागरूकता सप्ताह, घर में छोटी-छोटी बातों का रखें ख्याल

बुधवार को जिला मानसिक स्वास्थ्य की टीम ने डिमेंशिया जागरूकता सप्ताह का शुभारंभ वृद्धाश्रम में स्वास्थ्य शिविर का आयोजन कर किया गया।
 

 घर में परिवार की शोभा बढ़ाने वाले वृद्धजनों को दें सम्मान, उनको अकेलेपन से बचाने के लिए करें पहल  

 

 चंदौली जिले में 19 सितंबर से मनाया जा रहा डिमेंशिया जागरूकता सप्ताह 26 सितंबर तक मनाया जाएगा। इसका उद्देश्य लोगों में अल्जाइमर रोग के प्रति जागरूक करना है। इससे घर में परिवार की शोभा बढ़ाने वाले वृद्धजनों को स्वस्थ व सुरक्षित रखा जा सके।

 बुधवार को जिला मानसिक स्वास्थ्य की टीम ने डिमेंशिया जागरूकता सप्ताह का शुभारंभ वृद्धाश्रम में स्वास्थ्य शिविर का आयोजन कर किया गया। इसमें वृद्धजनों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया एवं दवा वितरित कर आवश्यक परामर्श व उपचार किया गया| साथ ही सभी को फल वितरण कर स्वस्थ रहने की सलाह दी| इस दौरान जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ हेमंत कुमार ने डिमेंशिया रोग के लक्षण एवं उपचार के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

dementia awareness

डॉ हेमंत कुमार ने कहा कि अल्जाइमर रोग एक मासिक बीमारी है। इसका सीधा असर व्यक्ति की स्मृति व याददस्त पर पड़ता है | यह बीमारी बढ़ती हुई उम्र के साथ लोगों में शुरू हो जाती है, जिसमें लोगों की याददाश्त कमजोर होने लगती है। ऐसे में उन्हें तुरंत बाद की भी चीजें याद नहीं रहती हैं। उम्र बढ़ने के साथ ही तमाम तरह की बीमारियां शुरू हो जाती हैं और इन्हीं में से एक प्रमुख बीमारी अल्जाइमर्स-डिमेंशिया है।

    
मनोचिकित्सक डॉ नितेश कुमार सिंह ने बताया कि हर साल 21 सितम्बर को विश्व अल्जाइमर्स-डिमेंशिया दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य है कि अल्जाइमर्स-डिमेंशिया बीमारी की जद में आने से बचाने के लिए इसके प्रति जागरूकता लाना है जिससे बुजुर्गों को इस बीमारी से बचाकर उनके जीवन में खुशियां लायी जा सकें और उनके जीवन को सुरक्षित किया जा सके। यह एक न्यूरोडिजेनेरेटिव बीमारी है, जिसमें मरीज की धीरे–धीरे याददाश्त कम होने लगती है और इसे डिमेंशिया का एक रूप माना जाता है। 65 वर्ष के बाद मस्तिस्क की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचता है।

 अल्जाइमर के प्रारम्भिक लक्षण जैसे- इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति दैनिक कामकाज में परेशानी होना,  कोई फैसला लेने की क्षमता में कमी आना, कोई भी सामाग्री इधर-उधर रखकर भूल जाना, सामान्य बातचीत में शब्द भूलना एवं शब्दों में रुकावट आना, समय, स्थान, दिन, परिवार के सदस्यों को न पहचान पाना, अपनी शारीरिक समस्यों को न बता पाना,  छोटे-छोटे कार्यों का न कर पाना। इसकी वजह से व्यक्ति सामाजिक और पारिवारिक समस्याओं का सामना करना पड़ता सकता है।


क्लीनिकल साइकोलोजिस्ट अजय कुमार का कहना है कि यह बीमारी अब सिर्फ बुजुर्गों तक ही सीमित नहीं रह गई है। इसकी जद में अब नयी पीढ़ी आ रही है। यह बीमारी एक बार हो जाए तो उम्र बढ़ने के साथ बढ़ती जाती है। यह रोग धीरे-धीरे लगातार बढ़ने के कारण अल्जाइमर (भूलने की आदत) बीमारी बन जाती है। इस बीमारी के होने का कारण कारण जैसे रक्तचाप, मधुमेह, आधुनिक जीवन शैली, सिर में कई बार चोट लग जाना और अवसाद इस बीमारी के होने आशंका बढ़ा देती है। 

बचाव - वृद्धजनों और युवाओं को नियमित व्यायाम करना चाहिए। नई चीजें सीखें, रचनात्मक कार्यों को करें, लोगों से मिलते-जुलते रहे, संतुलित और पौष्टिक भोजन को आहार में शामिल करें। मोटापे से बचें एवं अवसाद का समय से इलाज कराएं।
    

मनोचिकित्सक व समाजसेवी डॉ अवधेश कुमार ने कहा कि देश में इस बीमारी से ग्रसित वृद्धजनों की संख्या प्रतिवर्ष बढ़ रही है। इस जागरूकता सप्ताह में वृद्धजनों की समस्या के लिए परामर्श व नि:शुल्क इलाज एवं मेमोरी स्कैनिंग पंडित कमलापति त्रिपाठी जिला चिकित्सालय के मन कक्ष कमरा नंबर 40 मानसिक विभाग में सुविधा दी जा रही है। मन कक्ष हेल्पलाइन नंबर 75658-02028 पर भी संपर्क कर उचित सलाह ली जा सकती है, जिसका समय सुबह 8:00 बजे से 2:00 बजे दोपहर तक का है। 
    

कार्यक्रम में शामिल हुए डॉ अनूप कुमार, एसीएमओ डॉ विजय प्रकाश ने भी डिमेंशिया रोग के लक्षण एवं उपचार पर अपने विचार व्यक्त कर लोगों को जागरूक किया।

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