चंदौली जिले में छह माह में भी जैविक मार्ट के लिए जगह नहीं ढूंढ़ सका कृषि विभाग, ग्रामीणों में है रोष
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चंदौली जिले में जेएनएन कृषि विभाग की सुस्त कार्यप्रणाली का खामियाजा जिले के प्रगतिशील किसानों को भुगतना पड़ रहा है। इस बार काला धान के खरीदार नहीं मिले तो कृषि विभाग छह माह में जैविक मार्ट के लिए जगह नहीं ढूंढ़ सका। इससे योजना खटाई में पड़ गई है।
जिले में कई किसान जैविक पद्धति से धान, गेहूं, सब्जी आदि की खेती करते हैं। उन्हें उपज की उचित कीमत दिलाने के लिए जिले में जैविक मार्ट खोलने की योजना बनाई गई थी। इसके लिए कृषि विभाग को स्थान का चयन करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। हालांकि विभाग छह माह में जगह नहीं ढूंढ़ सका है। इसकी वजह से जैविक खेती करने वाले किसानों की परेशानी का अंत नहीं हो रहा। विभाग की कार्यप्रणाली को लेकर किसानों में रोष व्याप्त है।
धान के कटोरे में रासायनिक उर्वरकों का अंधाधुंध इस्तेमाल होने की वजह से मिट्टी की सेहत बिगड़ रही है। मिट्टी में जीवांश कार्बन समेत अन्य पोषक तत्वों की कमी होती जा रही है। ऐसे में जैविक खेती पर जोर दिया जा रहा है।
जिले के कई किसान जैविक पद्धति से खेती भी कर रहे हैं। किसान धान, गेहूं व सब्जी की खेती करते हैं लेकिन, उनकी उपज की सही कीमत नहीं मिल पा रही। ऐसे किसानों को सही कीमत दिलाने के लिए जैविक मार्ट खोला जाना था। इसके लिए जिला प्रशासन व कृषि विभाग ने जिले में किसी मुफीद स्थान को चुनने की योजना थी। जैविक मार्ट में सब्जियों आदि को रखने के लिए कोल्ड स्टोरेज समेत अन्य इंतजाम किए जाने थे। ताकि कृषि उपज कई दिनों तक सुरक्षित रखी जा सके।
हालांकि कृषि विभाग व जिला प्रशासन आज तक मुफीद स्थान नहीं ढूंढ सका है। इसकी वजह से योजना खटाई में पड़ गई है। किसानों को जैविक उत्पाद बेचने के लिए भटकना पड़ रहा।
इस सम्बन्ध में कृषि उपनिदेशक राजीव कुमार भारती ने बताया कि जिले में जैविक मार्ट खोलने के लिए अभी तक स्थान का चयन नहीं हो सका है। इसमें विभाग लगा हुआ है। जल्द ही मुफीद स्थान ढूंढ लिया जाएगा। इसके बाद किसानों को जैविक उत्पाद बेचने के लिए भटकना नहीं पड़ेगा।
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