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स्वच्छ भारत मिशन को आईना दिखाता धीना रेलवे स्टेशन का बदहाल शौचालय

धीना रेलवे स्टेशन नरवन और महाइच समेत आसपास के गांवों के यात्रियों के लिए प्रमुख स्टेशन है। इसका निर्माण ब्रिटिश शासन काल में 1918 में हुआ था। बावजूद इसके, आज तक स्टेशन पर साफ-सफाई और शौचालय की उचित व्यवस्था नहीं हो सकी है।
 

स्वच्छ भारत अभियान की जमीन पर उड़ रही धज्जियां

महिलाओं और पुरुषों के लिए बने शौचालय की हालत बेहद खराब

टूटी सीट और दरवाजा विहीन शौचालय यात्रियों के लिए बना परेशानी

दो साल से प्रयोग में नहीं है स्टेशन का शौचालय

चंदौली जिले के धीना में केंद्र और राज्य सरकार भले ही स्वच्छ भारत, सुंदर भारत का नारा बुलंद कर रही हों, लेकिन धीना रेलवे स्टेशन पर यह अभियान मजाक बनकर रह गया है। यहां महिलाओं और पुरुषों के लिए बना शौचालय वर्षों से बदहाल स्थिति में पड़ा है। यात्री प्रतिदिन गंदगी और शौचालय के अभाव में भारी दिक्कतें झेलने को मजबूर हैं।

स्थानीय रेलवे स्टेशन के उत्तर-पश्चिमी छोर पर बने पुरुष शौचालय में दरवाजा तक नहीं है। दूसरी ओर महिला शौचालय की सीट टूटी हुई और गंदगी से भरी पड़ी है। स्थिति यह है कि महिलाएं स्टेशन पर शौच की समस्या को लेकर खास तौर पर परेशान रहती हैं। यात्रियों का कहना है कि यह शौचालय करीब दो वर्षों से पूरी तरह अनुपयोगी बना हुआ है।

स्टेशन के पास रहने वाले स्थानीय निवासी राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि शौचालय की समस्या को लेकर कई बार स्टेशन मास्टर से लेकर रेलवे के उच्चाधिकारियों तक को अवगत कराया गया, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि प्रतिदिन सैकड़ों यात्रियों का इस स्टेशन से आना-जाना होता है, लेकिन रेलवे विभाग उनकी बुनियादी जरूरतों को भी नजरअंदाज कर रहा है।

धीना रेलवे स्टेशन नरवन और महाइच समेत आसपास के गांवों के यात्रियों के लिए प्रमुख स्टेशन है। इसका निर्माण ब्रिटिश शासन काल में 1918 में हुआ था। बावजूद इसके, आज तक स्टेशन पर साफ-सफाई और शौचालय की उचित व्यवस्था नहीं हो सकी है।

यात्रियों ने रेलवे विभाग के उच्चाधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराते हुए मांग की है कि शौचालय का शीघ्र मरम्मत कार्य कराया जाए ताकि यात्रियों को नित्य क्रिया के लिए सुविधा मिल सके और स्वच्छ भारत मिशन की मंशा के अनुरूप स्टेशन की स्थिति सुधरे।

यात्रियों का कहना है कि स्वच्छ भारत अभियान सिर्फ कागजों और नारों तक ही सीमित रह गया है। अगर रेलवे विभाग ने जल्दी ध्यान नहीं दिया तो स्थानीय लोग आंदोलन करने को मजबूर होंगे।

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