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सैम हॉस्पिटल की डॉ. अज्मे जेहरा के उपचार से सुनैना को कई साल बाद मिला मातृत्व का सुख

डॉ. जेहरा ने सुनैना का इलाज पूरी सावधानी और विशेषज्ञता से किया। नियमित जांच, दवाओं और निगरानी के तहत पूरी गर्भावस्था को सुरक्षित रखा गया। परिणामस्वरूप सुनैना ने एक स्वस्थ पुत्र को जन्म दिया।
 

सैम हॉस्पिटल चंदौली का अतुलनीय प्रयास

डॉक्टर अज्मे जेहरा के इलाज से भर गयी सुनैना की सूनी गोद

मातृत्व का सुख, बार बार  प्रसव से पूर्व ही हो जाती थी गर्भस्थ शिशुओं की मृत्यु 

चंदौली जिले के सैम हॉस्पिटल द्वारा चिकित्सा के क्षेत्र में एक अनोखा और सराहनीय प्रयास लगातार जारी है। यहां की वरिष्ठ स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. अज्मे जेहरा अपनी उत्कृष्ट चिकित्सा सेवा और समर्पित कार्यशैली से उन परिवारों के चेहरों पर मुस्कान ला रही हैं, जो वर्षों से संतान सुख से वंचित थे। उनके प्रयासों से अब तक कई ऐसे परिवार हैं जिनकी खुशियों में चार चांद लग चुके हैं।

इसी क्रम में एक उदाहरण सुनैना देवी का है, जिनका जीवन संघर्ष और उम्मीद से भरा रहा। सुनैना देवी ने बताया कि उन्होंने लगातार दो बार गर्भधारण किया, लेकिन दोनों बार प्रसव से पूर्व ही गर्भस्थ शिशु की मृत्यु हो गई। इस दर्दनाक अनुभव ने पूरे परिवार को तोड़ दिया था। तीसरी बार जब वह गर्भवती हुईं, तो उन्होंने डॉ. अज्मे जेहरा से परामर्श लिया। डॉक्टर ने मामले का गहन अध्ययन कर सभी आवश्यक जांचें कराईं, जिसमें पता चला कि यह हाई रिस्क प्रेगनेंसी का मामला था और कुछ चिकित्सीय कमियों के कारण गर्भ में ही शिशु की मृत्यु हो जाती थी।

Dr Azme Zehra

डॉ. जेहरा ने सुनैना का इलाज पूरी सावधानी और विशेषज्ञता से किया। नियमित जांच, दवाओं और निगरानी के तहत पूरी गर्भावस्था को सुरक्षित रखा गया। परिणामस्वरूप सुनैना ने एक स्वस्थ पुत्र को जन्म दिया। इस सुखद क्षण पर उनके पति रोशन ने भावुक होकर बताया कि “डॉक्टर अज्मे जेहरा की मेहनत और सही इलाज की वजह से ही आज हमारा बच्चा जिंदा है। दो बार हमने अपना संतान खोया था, लेकिन इस बार भगवान के रूप में डॉक्टर साहिबा ने हमें खुशियों की सौगात दी है।”

Sunaina

वहीं डॉ. अज्मे जेहरा ने कहा कि हर कठिन केस को समझदारी, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और मरीज पर विश्वास से संभाला जा सकता है। उन्होंने बताया कि सुनैना अब पूरी तरह स्वस्थ हैं और जल्द ही जच्चा-बच्चा दोनों को डिस्चार्ज किया जा रहा है।

सैम हॉस्पिटल के इस प्रयास ने न केवल सुनैना के जीवन में नई रोशनी दी, बल्कि यह उदाहरण बन गया कि सही चिकित्सकीय मार्गदर्शन और विश्वास से असंभव भी संभव हो सकता है।

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