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सरकारी महिला अस्पतालों आने वाली हर दूसरी गर्भवती एनीमिया की शिकार, एक साल में 43% महिलाओं में खून की कमी

राजकीय महिला चिकित्सालय में नगर व आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से गर्भवती महिलाएं रूटीन जांच के लिए आती हैं। अस्पताल में एक अप्रैल 2024 से 31 मार्च 2025 तक 904 गर्भवतियों ने पंजीयन कराया।
 

904 गर्भवती महिलाओं में से 386 में पाई गई खून की कमी

तीन महिलाओं में हिमोग्लोबिन का स्तर 7 ग्राम से भी कम मिला

खून की कमी पर अस्पताल में निशुल्क दी जाती हैं आयरन गोलियां व इंजेक्शन

चंदौली जिले में महिलाओं को एनीमिया से बचाने के लिए शासन की ओर से कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इसके बावजूद राजकीय महिला चिकित्सालय में आने वाली अधिकतर गर्भवती महिलाएं एनीमिया (खून की कमी) से ग्रसित हैं।अस्पताल में एक अप्रैल 2024 से 31 मार्च 2025 तक 904 गर्भवती महिलाओं ने पंजीयन कराया। इसमें से 43 प्रतिशत यानी 386 महिलाएं एनीमिया से पीड़ित रहीं।

आपको बता दें कि नगर स्थित राजकीय महिला चिकित्सालय में नगर व आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से गर्भवती महिलाएं रूटीन जांच के लिए आती हैं। अस्पताल में एक अप्रैल 2024 से 31 मार्च 2025 तक 904 गर्भवतियों ने पंजीयन कराया। 852 गर्भवतियों की डिलीवरी हुई। विभागीय आंकड़ों के अनुसार 904 में से 386 महिलाओं में खून की कमी पाई गई। 287 गर्भवती महिलाओं में हिमोग्लोबिन का स्तर 9 से 11 ग्राम प्रति डेसीलीटर रहा।

इसके अलावा 96 गर्भवती महिलाओं में हिमोग्लोबिन का स्तर 7 से 9 ग्राम प्रति डेसीलीटर रहा। वहीं 03 गर्भवती महिलाओं में हिमोग्लोबिन का स्तर सात ग्राम प्रति डेसीलीटर से भी कम मिला।

नि:शुल्क लगाया जाता है आयरन सुक्रोज का इंजेक्शन

प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. एसके चतुर्वेदी ने बताया कि खून की कमी से जूझ रही महिलाओं को आयरन की गोलियां दी जाती हैं। इसके अलावा अत्यधिक कमी पाए जाने पर आयरन सुक्रोज का इंजेक्शन भी दिया जाता है। ये सभी सुविधाएं अस्पताल में निशुल्क उपलब्ध हैं। एनीमिया उन्मूलन के लिए तमान प्रयास किए जा रहे हैं।

बच्चे के जन्म के छह माह के बाद से ही शुरू हो जाती है एनीमिया के खिलाफ जंग

शिशु के जन्म के छह माह के बाद से ही शासन की ओर से एनीमिया उन्मूलन के लिए प्रयास शुरू हो जाता है। राजकीय महिला चिकित्सालय के प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. एसके चतुर्वेदी ने बताया कि छह माह का बच्चा जब अस्पताल में टीकाकरण के लिए आता है तभी उसके हीमोग्लोबिन की शुरूआत हो जाती है। यदि कोई बच्चा एनीमिक मिलता है तो उसे ऑयरन का सिरप दिया जाता है। यह क्रम बच्चे के पांच वर्ष के होने तक चलता है। बच्चा स्कूल में जाता है। सरकार की ओर से बच्चों को गुलाबी रंग की गोली दी जाती है। प्रत्येक सोमवार को सभी बच्चों को एक गोली खिलाई जाती है। इसके बाद जब बच्चा दसवीं कक्षा के ऊपर जाता है तो उसे नीली गोली दी जाती है। इन गोलियों को डब्ल्यू आई एफ एस (वीकली आयरन एंड फोलिक एसिड सप्लीमेंटेशन) कहते हैं।

गुड़, चौराई, अनार और चुकंदर का सेवन फायदेमंद

राजकीय महिला चिकित्सालय के प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. एसके चतुर्वेदी ने बताया कि किशोरियों माहवारी की शुरूआत के बाद से ही बाद एनीमिया की चपेट में आ जाती है। किशोरियों को गुड़, चौराई, पालक, अनार और चुकुंदर आदि का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा प्रचुर मात्रा में आयरन पाए जाने वाले पदार्थों का सेवन करना चाहिए।

इस संबंध में राजकीय महिला चिकित्सालय के प्रभारी चिकित्साधिकारी  डॉ. एसके चतुर्वेदी ने बताया कि  वर्ष 2024 से 2025 में अस्पताल में आने वाली 386 गर्भवती महिलाओं में खून की कमी मिली थीं। गर्भवती महिलाओं में खून की कमी होने पर आवश्यक उपचार किया जाता है। अस्पताल में भी सुविधाएं निशुल्क उपलब्ध हैं।

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