जिले के 5 दर्जन स्कूलों के ऊपर दौड़ रही 'मौत', केवल कागजी घोड़े दौड़ा रहे अफसर

हाईटेंशन तार की वजह से हर वक्त हादसे का बना रहता है खतरा
बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से कई बार शासन को लिखा जा चुका पत्र
बिजली विभाग ने हाईटेंशन तार हटाने को 77 लाख का किया है डिमांड
चंदौली जिले के विभिन्न विकास खंडों में सरकारी स्कूलों के उपर हाईटेंशन तार की लाइन गुजर रही है। इससे हर समय खतरे की आशंका बनी रहती है। बिजली विभाग हाईटेंशन तार हटाने के लिए खर्च का डिमांड किया है। बेसिक शिक्षा विभाग ने कई बार इस संबंध में शासन को पत्र भेजा है। लेकिन हाईटेंशन तार हटाने के लिए इस दिशा में कोई पहल नहीं की गई। स्थित यह है कि इन स्कूलों के शिक्षक और गरीब परिवार के बच्चे भय के साये में पठन-पाठन करने के लिए लाचार हैं।

बेसिक शिक्षा विभाग की जिले में कुल 1185 परिषदीय विद्यालय चलते हैं। इसमें 64 विद्यालय ऐसे हैं। जिसके उपर से हाईटेंशन तार की लाइन गुजर रही है। इसमें बरहनी और सकलडीहा विकास खंड में 12-12 परिषदीय विद्यालयों के उपर हाईटेंशन एवं लो टेंशन तार लटक रहा है। वहीं नियामताबाद और चकिया में 4-4 विद्यालयों के उपर से हाईटेंशन तार गुजर रहा हैं। जबिक शहाबगंज में 7 स्कूल, सदर में 6 विद्यालय धानापुर में 11 और नौगढ़ विकास खंड में 5 ऐसे परिषदीय विद्यालय हैं। जिनके उपर से हाईटेंशन तार गुजर रही है। इसके चलते इन स्कूलों के शिक्षकों और बच्चों में खतरे का भय बना रहता है। इसे देखते हुए बेसिक शिक्षा विभाग ने पत्र के जरिए बिजली विभाग को स्कूलों के उपर से हाईटेंशन तार हटाने की मांग किया।

बिजली विभाग की ओर से स्कूलों के उपर से गुजर रहे हाईटेंशन तार हटाने के लिए 77 लाख रुपये खर्च की डिमांड किया है। बेसिक शिक्षा विभाग ने भी शासन को पत्र भेजकर स्कूलों के उपर से हाईटेंशन तार हटाने के लिए पैसे की डिमांड किया है। लेकिन अभी तक शासन की ओर से डिमांड पूरी नहीं की गई है। साथ ही धनराशि अभी तक उपलब्ध नहीं करायी गई।
आलम यह है कि कई वर्षों से स्कूलों के उपर से गुजर रहे हाईटेंशन तारों के कारण बच्चे डर में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।
इस सम्बंध में जिला बेसिक शिक्षाधिकारी सचिन कुमार ने बताया कि जिले में परिषदीय स्कूलों के उपर से गुजर रहे हाईटेंशन तारों को हटवाने के लिए बिजली विभाग को पत्र दे के माध्यम से अवगत कराया गया है। बिजली विभाग ने इन लाइनों को हटाने के लिए धनराशि की डिमांग किया है। इसके लिए शासन को पत्र भेजा गया है।
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