बालू भंडारण के केवल 3 लाइसेंस, 13 जगहों पर कैसे हो रहा है बालू का कारोबार
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चंदौली जिले में उत्तर प्रदेश सरकार अभियान चलाकर जहां ओवरलोडिंग एवं खनन संपदा के अवैध रूप से दोहन करने पर राजस्व वसूली कर रही है। वहीं अधिकारियों की आखों के सामने नेशनल हाईवे पर अवैध रूप से बालू भंडारण के खेल से काली कमाई की जा रही है। खुलेआम सबको दिखने वाला अवैध बालू भंडारण खनन अधिकारी को नहीं दिखता है। जब कोई पूछता है तो आंय..बांय…सांय…बोलने लगते हैं। मामला तो आप समझते ही होंगे।
वैसे कहा जा रहा है कि जिलाधिकारी द्वारा लगातार बालू माफियाओं पर अंकुश लगाने के लिए टीम गठित कर कार्यवाही तो की जाती है, लेकिन नेशनल हाईवे के किनारे अवैध रूप से बालू भंडारण कर ट्रैक्टर एवं बोगा ट्रालों से खुलेआम बिना रजिस्ट्रेशन के ट्रैक्टरों द्वारा अन्य जनपदों को बालू भेजा जा रहा है।
यह काली कमाई का खेल पर्दे के अंदर नहीं खेला जा रहा है बल्कि खुलेआम सड़क के किनारे हो रहा है। अगर इस खेल में शामिल लोगों की बात मानी जाए तो उनका खुलेआम कहना है कि यह खेल पूरे विभागों की मिलीभगत से चलता है और इस पर कोई भी अंकुश नहीं लगा सकता, क्योंकि सारे लोग हर गाड़ी और हर ठेके से बंधी बंधाई रकम लेते हैं। हम लोग सबको देकर ही यह काम करते हैं। तभी तो बड़े आराम से यह धंधा चल रहा है।
सरकार जहां ईमानदारी और सुशासन की ढोल पिटती है। वहीं इस तरह का अवैध खेल अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों पर प्रश्नचिन्ह भी खड़ा करता है। अगर इस पर अंकुश लगा दिया जाए तो जहां सरकार के राजस्व में वृद्धि होगी वहीं अवैध कार्यों पर विराम भी लग सकता है।
इस संबंध में जब जिला खनन अधिकारी से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि तीन लोगों के बालू भंडारण के रजिस्ट्रेशन हमारे यहां है। बाकी अवैध भंडारण कर रहे होंगे। जब अवैध लोगों के काम व पैसे देकर काम कराने के संबंध में जब पूछा गया तो वह कार्यवाही करने की बात कह कर मामले को टाल गए।
बिहार की सीमा नौबतपुर से जनपद के वाराणसी बार्डर तक केवल तीन रजिस्टर्ड की जगहों पर ही बालू का भंडारण करने की परमीशन है। पर लगभग 13-15 अवैध जगहों पर बालू भंडारण करके मोटा माल कमाने वाले खिलाड़ी मिल जायेंगे। विभागीय अधिकारी नौबतपुर,चन्दौली और बनारस से आवागमन प्रतिदिन करते है, लेकिन इस खेल को रोकने की हिम्मत नहीं होती है। सम्बंधित विभागों का हाथ इस खेल में या तो मिला है या माफियाओं के डर से कार्रवाई करने से कतरा रहे हैं।
ईमानदारी की ढोल पीटने वाले विभागीय अधिकारियों को जब सामान्य व्यक्ति मिल जाते है तो उस पर कानून का रौब जमाते हुए न जाने कितने धाराओं में जुर्माना लाद दिया जाता है। वहीं खुलेआम बालू की अवैध ढुलाई एवं भंडारण का कार्य करने वालों पर विभगीय लोग आंख मूंदकर मौन साधे हुए हैं। यही नहीं इस अवैध भंडारण में सरकारी जमीनों का भी उपयोग किया जा रहा है तब भी मौन हैं।
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