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धूमधाम से मनाई गई पंडित कमलापति जी की जयंती, चंदौली के दिलों में बसते हैं पंडितजी

 डॉ नारायण मूर्ति ओझा ने कहा कि राजनीति के रूप में राज्यसभा सदस्य, लोकसभा सदस्य, रेल मंत्री तथा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में देश व प्रदेश की सेवा करते हुए अपनी राजनीतिक कुशलता का परिचय दिया।  
 

 चंदौली के शिल्पकार कहे जाते हैं पंडित कमलापति त्रिपाठी

प्रपौत्र ललितेश पति त्रिपाठी ने भी किया माल्यार्पण

चंदौली के लोग हमेशा पंडित कमलापति के ऋणी रहेंगे

चंदौली जिले में आज स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, संविधान सभा के सदस्य, लेखक, पत्रकार, प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व रेल मंत्री व पूरे उत्तर प्रदेश सहित चंदौली के शिल्पकार पंडित कमलापति त्रिपाठी की जयंती कचहरी स्थित पंडित कमला पति त्रिपाठी उद्यान परिसर में मनायी गयी।

इसके पहले उनकी पार्क में स्थित प्रतिमा पर माल्यार्पण करके उनके प्रपौत्र ललितेश पति त्रिपाठी व कांग्रेस जनों सहित आम जनता ने धूमधाम से मनाई।

इस मौके पर मिडिया से वार्ता करते हुए ललितेश पति त्रिपाठी ने कहा कि पंडित कमला पति त्रिपाठी जी की चंदौली कर्म भूमि रही है। चंदौली सहित पूरे पूर्वांचल के हर जिलों में उन्होंने अभूतपूर्व कार्य किया है। आज उनको लोग उनके कार्यों से जानते हैं, उनको याद करते हैं।

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 पंडित कमलापति त्रिपाठी जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए पंडित कमलापति  त्रिपाठी स्मृति सेवा संस्थान के अध्यक्ष डॉ नारायण मूर्ति ओझा ने कहा कि 3 सितम्बर 1905 को जन्मे पंडित कमला पति त्रिपाठी जी कुशल नेतृत्व कर्ता, लेखक पत्रकार, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सहित लोगों के दिलों पर राज करने वाले व्यक्तित्व थे। वे समाचार पत्र आज से अपने कैरियर की शुरुआत की थी। फिर 1921 में गाँधी जी के नेतृत्व में चलाये गए असहयोग आंदोलन में भाग लिया एवं सविनय अवज्ञा आंदोलन में सक्रिय रूप से भागीदार रहे, जिसके लिए वह जेल भी गए। इसके साथ ही 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में वह मुंबई गए, जहाँ उन्हें गिरफ्तार कर 3 साल के लिए जेल भेज दिया गया।

 डॉ नारायण मूर्ति ओझा ने कहा कि राजनीति के रूप में राज्यसभा सदस्य, लोकसभा सदस्य, रेल मंत्री तथा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में देश व प्रदेश की सेवा करते हुए अपनी राजनीतिक कुशलता का परिचय दिया।  

पंडित कमलापति त्रिपाठी स्मृति सेवा संस्थान के संयोजक व कांग्रेस के जिला अध्यक्ष धर्मेंद्र तिवारी ने कहा कि पंडित जी हिंदी व संस्कृति के विद्वान एवं ग्रंथकार थे। उनके द्वारा बंदी की चेतना, बापू और मानवता,गांधी और मानवता सहित कई कृतियों की रचना  की गई । जनपद चंदौली उनकी विशेष कर्मभूमि रही। वे हमेशा चंदौली के लोगों  के हृदय में बसते हैं। पंडित जी ने चंदौली में  कॉलेज, अस्पताल सहित नहरों का जाल बिछाया। हम सभी बहुत सौभाग्यशाली हैं कि ऐसे व्यक्तित्व की जयंती मनाने का सौभाग्य हम लोगों को प्राप्त हो रहा है। हम सदैव उनके पद चिन्हो पर चलने के लिए कृत संकल्प हैं।

 इस अवसर पर रामजी गुप्ता, मधु राय, विजय त्रिपाठी, आनंद शुक्ला, शशि नाथ उपाध्याय, रजनीकांत पांडे, डॉ राम आधार जोसेफ, गंगा प्रसाद, बबलू सिंह,प्रदीप मिश्रा,राहुल सिंह, अरुण द्विवेदी, दयाराम पटेल, शाहिद तौसीफ, नवीन पांडे, दिनेश चंद्र, बाबा गोड,सत्येंद्र उपाध्याय, नरेन्द्र तिवारी सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।

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