चले थे सोशल ऑडिटर बनने साक्षात्कार में ही खुल गयी पोल, नहीं बता पाए….
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चंदौली जिले में मनरेगा सोशल आडिटर बनने की चाह रखने वाले उम्मीदवारों का जब टेस्ट लिया गया तो पता चला कि जो काम करने जा रहे हैं, उन्हें उसका बेसिक ही नहीं मालूम है। इसके साथ ही सरकारी योजनाओं के बारे में भी कोई खास जानकारी नहीं है। इतना ही नहीं, कुछ को तो मनरेगा का फुलफार्म तक पता नहीं।
विकास भवन सभागार में शुक्रवार को साक्षात्कार के लिए आए 90 फीसदी अभ्यर्थियों की यही स्थिति रही। इस पर अधिकारियों ने अफसोस जताया। वहीं अभ्यर्थियों को पूरी तैयारी के साथ साक्षात्कार में शामिल होने की नसीहत दी।
मनरेगा के तहत कराए गए विकास कार्यों की हकीकत परखने के लिए सोशल ऑडिट टीम का गठन किया जाना है। ब्लाक स्तर पर सात-सात टीमों का गठन किया जाएगा। इसको लेकर अभ्यर्थियों का अधिकारियों ने साक्षात्कार लिया था।
शुक्रवार को चकिया, शहाबगंज व धानापुर ब्लाक के अभ्यर्थियों को बुलाया गया था। चकिया से 74, शहाबगंज 52 व धानापुर ब्लाक के लिए 67 अभ्यर्थी आए। पांच-पांच अभ्यर्थियों को एक-एक साथ बुलाकर चयन समिति ने सवाल पूछे।
चंदौली जिले के जिला विकास अधिकारी पद्मकांत शुक्ला, समन्वयक सोनिया यादव व आइटीआइ प्रधानाचार्य जयप्रकाश ने अभ्यर्थियों से योजना से संबंधित सवाल पूछे।
शामिल उम्मीदवारों से पांच सरकारी योजनाओं के नाम भी पूछे गए। प्रधानमंत्री आवास, मुख्यमंत्री आवास के तहत लाभार्थियों को दी जाने वाली धनराशि के बाबत प्रश्न पूछकर उनकी योग्यता परखने की कोशिश की। हद तब हो गई जब मनरेगा सोशल आडिट टीम का हिस्सा बनने के इच्छुक अधिकांश अभ्यर्थियों को इसका फुलफार्म तक पता नहीं था। इस पर अधिकारियों ने अफसोस जताया।
इस मौके पर डीडीओ बोले, सोशल आडिट टीम के सदस्यों को विकास कार्यों की बारीकी से पड़ताल कर रिपोर्ट देने की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। यह कार्य उतना आसान नहीं है। ऐसे में अभ्यर्थियों को खुद को अपडेट करने की जरूरत है। यही स्थिति रहेगी, तो विकास कार्यों की पड़ताल कैसे करेंगे। इस दौरान विकास भवन में गहमागहमी रही।
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