मनीष सिंह से सीखिए : अपनी ड्यूटी निभाते हुए कैसे जीतते हैं कोरोना से जंग
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कोरोना वायरस के खिलाफ़ जंग में सबसे आगे खड़े स्वास्थ्य कर्मी ने मिसाल पेश की है। इन्होंने साबित कर दिया कि देश की सेवा ही सर्वोपरी है। वहीं कहना गलत न होगा कि कोविड-19 की ड्यूटी में स्वास्थ्य विभाग की टीम 24 घंटे दिन-रात काम कर रही हैं । दुर्भाग्यवश कोरोना से कई डॉक्टर समेत स्वास्थ्य कार्यकर्ता ने अपनी जान तक गंवा दी लेकिन कोरोना से जंग जीतने की हिम्मत नहीं हारी । इस जीत के जुनून ने उपचाराधीन होते हुए सभी कार्यों को पूरा किया।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के कंप्यूटर सहायक मनीष कुमार सिंह (36) कोविड से संबन्धित रिपोर्टिंग कार्य करते विभागीय जांच के दौरान पॉज़िटिव आ गए । उन्होने बताया कि वह राजकीय पत्राचार व रिपोर्ट / पत्रावली का कार्य करतें हैं । जनपद के सभी कोविड-19 की केस की रिपोर्ट तैयार करने के दौरान कोविड-19 की जाँच में 12 सितंबर को पॉज़िटिव हो गए। साथ ही उनकी पत्नी व पाँच वर्षीय बेटी तथा तीन वर्षीय बेटे की रिपोर्ट भी पॉज़िटिव आई।
मनीष ने कहा कि वह घबराए नहीं और ऑफिस के निर्देशानुसार परिवार सहित होम क्वोरेंटाइन हो गए । इसकी सूचना मिलते ही विभाग के कर्मचारियों ने हमें हिम्मत दी और परिवार सहित जल्द स्वस्थ होने की कामना की जो उनके लिए आत्मशक्ति का काम किया । 28 सितंबर को मनीष की रिपोर्ट निगेटिव आई लेकिन इसके बाद भी वह क्वोरेंटाइन रहे ।
उपचाराधीन होने के दौरान विभाग के अति महत्वपूर्ण रिपोर्टिंग पर कार्य किया । सीएमओ व अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं सहकर्मियों ने फोन द्वारा बात कर मनोबल को बढ़ाया। रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पॉलीमरेस चेन रिएक्शन (आरटीपीसीआर) की जाँच रिपोर्ट निगेटिव आने पर पुन: कार्यालय का कार्य प्रारम्भ किया । मनीष ने कहा कि विभाग में अभी भी कई कर्मचारी उपचाराधीन हैं। शारीरिक दूरी, मास्क, हैंड सेनेटाइज का प्रयोग कर कार्यालय आ जा रहे हैं । उन्होने कहा कि स्वास्थ्य विभाग कर्मचारी होने का फर्ज पूरा करना है । जन सामुदाय के सुरक्षित जीवन की ज़िम्मेदारी पर हम सब पर है ।
इसी तरह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चकिया के स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी (एचईओ) शिव प्रकाश सिंह पॉज़िटिव आने के बाद क्वोरेंटाइन रहकर सभी कार्यों का निर्वाहन किया । उन्होने बताया कि लोगों की स्क्रीनिंग के दौरान उन्होने भी अपनी जांच कराई। 17 जून को जांच में वह पॉज़िटिव आए और 14 दिन क्वोरेंटाइन रहने के बाद उनकी रिपोर्ट निगेटिव आई। उन्होने बताया कि पॉज़िटिव आने से पूर्व प्रतिदिन 8 से 10 सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी के साथ मिलकर हॉट स्पॉट क्षेत्र की पूरी आबादी की थर्मल स्क्रीनिंग की तथा सारी और आईएलआई से ग्रसित व्यक्तियों की सूची तैयार की और इसी दौरान वह और अन्य स्टाफ की आरटीपीसीआर की जांच करायी गयी उसमे वह स्वयं और तीन स्टाफ की रिपोर्ट पॉज़िटिव आयी ।
इसके बाद सभी को भोगवारा –एल 1 क्वोरेंटाइन सेन्टर में उपचार के लिए भेजा गया। पॉज़िटिव की सूचना आने के बाद परिवार व केंद्र पर गम का माहौल बन गया और दो दिन के लिए केंद्र बंद कर दिया गया । उपचार के दौरान इस विचार से आत्मशक्ति को बनाएं रखा क्योंकि स्वास्थ्य कर्मी होने के नाते इस परिस्थिति में घबरा जाएंगे तो आम लोगों की सेवा कैसे करेंगे । अस्पताल द्वारा उपलब्ध दवा, भोजन, काढ़ा को नियमित रूप से लिया। साथ ही एल-1 सेंटर से ही सभी राजकीय कार्यो का निर्वहन एवं संचालन किया ।
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