पुलिस के FIR पर मनोज सिंह W ने उठाये सवाल, मुकदमे में दर्ज सारे फैक्ट गलत
सड़क पर केवल की गयी आतिशबाज़ी
बाकी सारे आरोप मनगढंत और झूठे
पुलिस को कोई जवान मौके पर नहीं था मौजूद
चंदौली जिले के समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक मनोज सिंह डब्लू ने शनिवार को पुलिस की कार्य प्रणाली पर सवाल उठाए। उन्होंने घोसी उपचुनाव में सपा प्रत्याशी की जीत के बाद मुगलसराय में आतिशबाजी के बाद दर्ज मुकदमें को राजनीति से प्रेरित बताया। कहा कि हार से बौखलाए भाजपा के नेता, मंत्री व विधायक के इशारे पर जनपद पुलिस काम कर रही है। तानाशाही देश के लोकतंत्र पर इस कदर हावी हो गई है कि अपनी खुशी का इजहार करना भी भाजपाइयों व सरकारी तंत्र को रास नहीं आ रहा है। मुगलसराय थाने में दर्ज मुकदमा अपराध संख्या-302/2023 इसका जीता जागता प्रमाण है। यह मुकदमा भाजपा सरकार की हताशा का उदाहरण है।
उन्होंने बताया कि मुगलसराय पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर में यह उल्लिखित है कि सैयदराजा के पूर्व विधायक मनोज सिंह डब्लू अपने हथियार बंद दर्जनों समर्थकों के लाल रंग की स्कार्पियो से आए और जबरदस्ती खरनाक दशा में अपने वाहन को कर दिया। जबकि वीडियो में स्पष्ट देखा जा सकता है कि वहां मेरे सरकारी सुरक्षा कर्मी के अलावा किसी भी व्यक्ति के हाथ में कोई असलहा नहीं है। यह मुगलसराय पुलिस पहली झूठ है जो एफआईआर नंबर-302/2023 में सरकारी सेवकों द्वारा दर्ज की गई है। इसके अलावा एफआईआर में हो हल्ला मचाने व उत्पात मचाने का उल्लेख है जबकि वीडियो में ऐसा कुछ भी होता नहीं दिख रहा है।
यह पुलिस महकमे की दूसरी झूठ है जो एफआईआर में धाराएं बढ़ाने के लिए आधार के तौर पर इस्तेमाल की गई हैं। इसके अलावा तीसरी झूठ यह है कि मेरे द्वारा सरकारी काम में बाधा डाली गई‚ जबकि ऐसा कुछ भी मुगलसराय में नहीं हुआ। वीडियो में किसी भी पुलिस को मना करने व रोकते हुए नहीं देखा जा सकता है। बताया कि जब मऊ के घोसी विधानसभा में जीत की खबर मिली तो पार्टी के कुछ साथियों द्वारा उत्साह में आकर सड़क पर आतिशबाजी की गई। इसके अलावा न तो यातायात को बाधित करना मंशा थी और ना ही शांति व्यवस्था को बिगाड़ने का कोई प्रयास हुआ। इतना ही नहीं पुलिस ने अपने एफआईआर में विद्यालय के बस, यात्री, मरीज की गाड़ियों को जाम में फंसने का जिक्र किया है, जबकि एफआईआर में पुलिस ने खुद घटना का वक्त चार बजे शाम बताया है जिससे काफी पहले ही स्कूलों की छुट्टी हो जाती है। इसके अलावा किसी भी मरीज वाहन या एंबुलेंस के फंसने की बात इसलिए झूठी है क्योंकि दो मिनट में सड़क पूरी तरह से खाली कर दी गई है। यह पुलिस की चौथी झूठी बात है जिसका जिक्र फर्जी तरीके से फर्जी एफआईआर को दर्ज करने व गढ़ने के लिए किया गया है। इससे पुलिस के निष्पक्षता पर एक बार फिर सवाल उठने लगा है।
इस बात को मौके पर मौजूद पुलिस वाले व महकमा बखूबी जानता है, लेकिन राजनीतिक दबाव में आकर उन्हें मजबूरी में ऐसा करना पड़ा। यदि सड़क पर आतिशबाजी करना अपराध की श्रेणी में आता है तो उन तमाम भाजपाइयों पर भा मुकदमा दर्ज होना चाहिए, जो आए दिन सड़कों को घेर कर घंटों आतिशबाजी करते हैं और यही पुलिस मूकदर्शक व उनकी संरक्षक बनी रहती है। कहा कि जनपद एसपी व तमाम पुलिस अधिकारियों को किसी के दबाव में आकर नहीं बल्कि निष्पक्ष रूप से कानून का पालन कराना चाहिए, ताकि देश-प्रदेश व जिले में कानून का राज हो, ना की किसी दल या पार्टी का।
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