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मोहर्रम का चांद दिखते ही चंदौली में शुरू हुआ गम ए हुसैन का सिलसिला, मायल चंदौली बोले- 6 जुलाई को मनाया जाएगा आशूरा

शहर के विभिन्न मोहल्लों में ताजियों और अलम के जुलूस निकाले जाते हैं। दस दिनों तक शहर व गांव में मजलिसों का दौर चलेगा।नौ मुहर्रम को कुरान ख्वानी का सिलसिला जारी रहेगा।
 

मोहर्रम की पहली तारीख 27 जून को घोषित

इमाम हुसैन की शहादत की याद में दस दिन की मजलिसें

ताजिया और अलम जुलूस से गांव-शहरों में शोक का माहौल

6 जुलाई को जिले भर में आशूरा का आयोजन

चन्दौली जिले में मोहर्रम का चांद बृहस्पतिवार की शाम को नजर आते ही मोहर्रम की पहली तारीख से शहर व गांव में जगह-जगह गम-ए-हुसैन मनाने को मजलिसों और मातम का दौर शुरू हो गया। इस्लामिक कैलेंडर के पहले महीने मोहर्रम सन 1447 हिजरी का चांद दिखाई दिया। ऐसे में 1 मोहर्रम 27 जून और इमाम हुसैन की शहादत का दिन आशूरा 6 जुलाई को मनाया जाएगा। वहीं सुहागिनें इमामबाड़ों में अपनी सुहाग की निशानी चूड़ियां तोड़ देंगी।

Moharram starts

 बता दें कि रसूल के नवासे इमाम हुसैन और उनके 72 शैदाइयों की शहादत का गम मनाने का दौर चलता है। कर्बला की जंग मानव इतिहास की ऐसी पहली जंग है, जिसमें जीतने वाले यजीद का नाम लेवा न रहा, वहीं इस जंग में शहीद इमाम हुसैन को पूरी दुनिया साल-दर-साल अकीदत के साथ याद करती है। इस जंग ने संदेश दिया कि जुल्म के खिलाफ खड़े होने वाले मर कर भी अमर हो जाते हैं। इसी क्रम पहली से दस मोहर्रम तक शहर व गांव में विभिन्न इमाम बारगाहों, दरगाहों और कर्बला में मजलिसों की हलचल रहती है। वहीं शहर के विभिन्न मोहल्लों में ताजियों और अलम के जुलूस निकाले जाते हैं। दस दिनों तक शहर व गांव में मजलिसों का दौर चलेगा।नौ मुहर्रम को कुरान ख्वानी का सिलसिला जारी रहेगा। इमाम चौक पर पूरी रात फतिहा और नजर नियाज का सिलसिला चलेगा। वही 6 जुलाई को जिले भर में मोहर्रम मनाए जाएंगे

Moharram starts

इस दौरान मायल चंदौलवी मोहसिन रजा ने बताया कि मोहर्रम का चांद बृहस्पतिवार की देर शाम को दिखाई देने के साथ ही हिजरी सन 1447 का नया साल शुरू हो गया है। 6 जुलाई को जिले भर में मोहर्रम मनाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि मोहर्रम का महीना इस्लामी साल का पहला महीना है। कहां कि इमाम हुसैन का गम ऐसा गम है। जिसमें सुहागिन औरतें इमाम हुसैन के अजाखाने में अपनी सुहाग की निशानी उनके गम में बढ़ा देती हैं। अपनी चूड़ियां तोड़ देती हैं और दो महीना 8 दिन चूड़ी या कोई साज श्रृंगार नहीं करती। लाल-पीले कपड़ों की जगह काले कपड़े पहनती हैं। मोहर्रम के इन दस दिनों में पूरे जिले का माहौल शोक और श्रद्धा से भर जाता है, जहां हर वर्ग इमाम हुसैन की याद में शरीक होता है।

Moharram starts

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