बच्चों को टीबी का खतरा ज्यादा, विशेष ध्यान देने की जरूरत
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रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने से बढ़ सकती है समस्या
चंदौली जिले में कोरोना और क्षय रोग (टीबी) के लक्षण बहुत अधिक समान हैं ऐसे में कोरोना के साथ-साथ टीबी से भी बचाव करना बेहद जरूरी है । कोरोना काल में टीबी ग्रसित बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य व कोरोना संक्रमण के खतरे से बचाव के लिए शासन के निर्देशानुसार स्वास्थ्य विभाग के लगातार प्रयासों से स्वयंसेवी संस्था टीबी ग्रसित बच्चों को गोद लेने और उनके उचित पोषण व नियमित उपचार के लिए आगे आ रही हैं ।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आर के मिश्रा ने कहा कि टीबी का खतरा बच्चों मे ज्यादा रहता है क्योंकि बच्चों में इसकी जांच और इलाज करना थोडा मुश्किल होता है। उन्होने कहा टीबी एक जानलेवा बीमारी है यह किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती है। बच्चों की टीबी वयस्कों की टीबी से अलग होती है। बच्चों में इस बीमारी के होने के कारण और लक्षण भी बड़ों से अलग होते हैं, जिसे सही समय पर पहचान कर बच्चों को इससे बचाया जा सकता है। बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बड़ों से कम होती है ऐसे में उन्हें टीबी होने की संभावना ज्यादा होती हैं |
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ डी एन मिश्रा ने बताया – कोविड काल में टीबी के मरीजों को विभाग द्वारा विशेष कार्यक्रम के तहत चिन्हित किया जा रहा है | कोविड के दौरान प्रवासियों में टीबी की जाँच के साथ ही घर-घर जाकर टीबी ग्रसित बच्चों को चिन्हित कर उन्हें नि:शुल्क जाँच व दवाओं की सुविधायें दी गईं | कोविड काल में बाहर से आए मजदूरों व उनके बच्चों में टीबी संक्रमण का खतरा बढ़ा गया था । क्षय रोग से ग्रसित व्यक्ति खांसता, छींकता या बोलता हैं तो उसके साथ संक्रामक ड्रॉपलेट न्यूक्लिआई उत्पन्न होता हैं जो कि हवा के माध्यम से किसी अन्य व्यक्ति को संक्रमित कर सकता हैं। यह ड्रॉपलेट न्यूक्लिआई कई घंटों तक वातावरण में सक्रिय रहते हैं।
डॉ डी एन मिश्रा ने कहा कि बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने से वह जल्दी प्रभावित होते हैं और बच्चों की जांच और इलाज करना बहुत मुश्किल होता हैं | कोविड के दौरान से ही स्वास्थ्य विभाग के लगातार सक्रियता से विभिन्न स्वयं सेवी संस्थाओं ने जनपद में मार्च 2020 से सितंबर तक 151 टीबी से ग्रसित बच्चों को गोद लिया जिसमें स्वस्थ हुए बच्चों की संख्या 36 है और 109 बच्चों का इलाज किया जा रहा हैं ।
डॉ डी एन मिश्रा ने बताया कि बच्चों को विभिन्न संस्थाओं यथा मानव सेवा केंद्र , ग्राम्या संस्था और सोशल वेलफेयर इंस्टीट्यूट के संपर्क से बेहतर पोषण के लिए गोद लेने की प्रक्रिया शुरू की गई | टीबी ग्रसित बच्चों को उनके परिवार वालों की सहमति से ही गोद लेने की प्रक्रिया की जा रही है । उन्होने कहा कि साफ – सफाई पर विशेष ध्यान देने की जरूरुत हैं। बच्चों के हाथों को साबुन से जरूर साफ करें, साफ पानी का प्रयोग करें, बच्चों के मास्क को प्रति दिन साफ करें |
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