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जिला अस्पताल के ब्लड बैंक में अब मिलेगा प्लेटलेट्स और प्लाज्मा, लग गयी है ब्लड कंपोनेंट यूनिट वाली मशीन ​​​​​​​

चंदौली जिले के लोगों को अब प्लेटलेट्स और प्लाज्मा के लिए दूसरे जिले का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा। पं. कमलापति त्रिपाठी संयुक्त जिला अस्पताल के रक्तकोष में 27 साल बाद प्लेटलेट्स और प्लाज्मा मिलेगा।

 

1012 यूनिट संग्रहण क्षमता के ब्लड कंपोनेंट केंद्र का निर्माण

कई सालों के बाद जिले में होगी प्लेटलेट्स और प्लाज्मा की सुविधा

जिला अस्पताल के ब्लड कंपोनेंट यूनिट में लग गयी है मशीन

चंदौली जिले के लोगों को अब प्लेटलेट्स और प्लाज्मा के लिए दूसरे जिले का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा। पं. कमलापति त्रिपाठी संयुक्त जिला अस्पताल के रक्तकोष में 27 साल बाद प्लेटलेट्स और प्लाज्मा मिलेगा। इसके लिए रक्तकोष में 1012 ब्लड यूनिट क्षमता के ब्लड कंपोनेंट केंद्र का निर्माण किया गया है। इसका संचालन भी शुरू हो गया है। जिले के लोगों को इससे काफी सहूलियत होगी। 


चंदौली 1997 में वाराणसी से अगल होकर जिला बना। तबसे यहां चिकित्सा सुविधाओं का अभाव है। जिला अस्पताल में प्लेटलेट्स न मिलने से हर महीने 150 से ज्यादा मरीजों को दूसरे जिलों में रेफर किया जाता था। अब अस्पताल परिसर में संचालित ब्लड कंपोनेंट यूनिट में प्लाज्मा और प्लेटलेट बनने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। कंपोनेंट के जरिए 1012 यूनिट प्लाज्मा और 300 यूनिट प्लेटलेट्स का निर्माण हुआ है। 


चिकित्सकों का कहना है कि प्लेटलेट्स, जिन्हें थ्रोम्बोसाइट्स भी कहा जाता है, रक्त में मौजूद छोटी, रंगहीन कोशिकाएं हैं जो रक्त के थक्के बनाने में मदद करती हैं और रक्तस्राव को रोकती हैं। प्लेटलेट्स अस्थि मज्जा में बनते हैं, जो हड्डियों में स्पंज जैसा ऊतक होता है। प्लाज्मा हीमोफीलिया एक आनुवंशिक रक्तस्त्राव विकार है, जिसमें रक्त में पर्याप्त थक्का बनाने वाले कारक नहीं होते हैं, ऐसे में प्लाज्मा मदद कर सकता है। यकृत रोग में शरीर में पर्याप्त मात्रा में रक्त के थक्के जमने वाली प्रोटीन नहीं बना पाती है, इससे प्लाज्मा आधार की आवश्यकता हो सकती है। 


इस सम्बंध में बाबा कीनाराम समिति मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अमित कुमार सिंह का कहना है कि प्लेटलेट्स और प्लाज्मा दोनों शरीर के लिए आवश्यक है। रक्त में प्लेटलेट्स की सामान्य संख्या प्रति माइक्रोलीटर रक्त में 150,000 से 450,000 प्लेटलेट्स होती है। प्लेटलेट्स काउंट पता करने के लिए सीबीसी (पूर्ण रक्त गणना) टेस्ट किया जाता है। प्लेटलेट्स को बढ़ाने में आंवला, वीट ग्रास, चुकंदर, पपीता और नारियल पानी मदद करता है। 


उन्होंने बताया कि जब शरीर में रक्त के थक्के जमने में समस्या, गंभीर रक्त हानि या कुछ चिकित्सीय स्थितियों (जैसे यकृत रोग, हृदय शल्य चिकित्सा) के कारण रक्त में प्रोटीन की कमी होती है, तब प्लाज्मा की आवश्यकता होती है। जब रक्त के थक्के नहीं जमते हैं, तो रक्तस्राव रुकने में समस्या हो सकती है। ऐसे में प्लाज्मा आधार रक्त के थक्के जमने में मदद करता है। 


इस सम्बंध में बाबा कीनाराम राजकीय मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा. अमित सिंह ने बताया कि पंडित कमलापति त्रिपाठी संयुक्त जिला चिकित्सालय परिसर में संचालित ब्लड कंपोनेंट में प्लाज्मा और प्लेटलेट्स की सुविधा उपलब्ध हो गई है। इसके संचालन से जनपद वासियों को काफी राहत मिलेगी।

                                                                                                                                                           

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