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सैयदराजा में बंटेंगे अपनी बिरादरी को वोट, दूसरी बिरादरी पर नेता डाल रहे हैं डोरे

इस संबंध में यह भी कहा जाता है कि जिस बिरादरी के सबसे ज्यादा ज्यादा मत हैं उस बिरादरी के सबसे ज्यादा उम्मीदवार मैदान में आने के कारण कम संख्या की जाति वाले बाजी मार ले जाते हैं जो कि पूर्व के चेयरमैन के इतिहास का आंकड़ा देखने को मिल रहा है।

 

सैयदराजा में ऐसा है वोटों का समीकरण

जानिए किसके बिखरेंगे वोट

किसके पक्ष में बन सकता है माहौल

चुनावी लालीपॉप देकर रिझाने की हो रही है कोशिश 

 

चंदौली जिले के सैयदराजा नगर पंचायत का चुनाव प्रचार का आज आखिरी दिन है, उसके बाद चोरी चुपके गुणा गणित होगी। इस समय चुनाव की तपिश चरम सीमा पर देखने को मिल रही है। यहां पर कहीं हिंदू-मुस्लिम का माहौल बनाकर राजनीति हो रही है, तो कहीं विकास के गुण गाए जा रहे हैं। कोई पुराने काम गिना रहा है तो कोई उनके पार्टी के घोटाले और कमियों पर चर्चा कर रहा है। इतना ही नहीं कापी पेन लेकर बिरादरी के वोट भी मुहल्ले के हिसाब से गिने जा रहे हैं।

 

 कहा जाता है कि अब तक का सैयदराजा चेयरमैन के चुनाव का इतिहास यह रहा है कि भाजपा और निर्दल प्रत्याशियों का ही बोलबाला रहा है, लेकिन यहां पर वही व्यक्ति चेयरमैन के पद पर आसीन हुआ है, जिसे अपनी बिरादरी के साथ साथ सभी जातियों के आशीर्वाद मिला हो। अबकी बार भी मुख्य मुकाबला भाजपा व सपा के बीच दिख रहा है, लेकिन मतदाता किसी और की लॉटरी लगा दें तो हैरत वाली बात होगी। इसीलिए भाजपा व सपा के रणनीतिकार वोटों का बिखराव रोकने के लिए चोरी चुपके वाली सेटिंग-गेटिंग कर रहे हैं और दूसरे खेमे जाने वालों को चुनावी लालीपॉप देकर रिझाने की कोशिश कर रहे हैं।

saiyadraja nagar panchayat

 सैयदराजा नगर पंचायत में  लगभग 16 हजार से अधिक मतदाता हैं, जो अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे । जिसमें जातिगत समीकरण को देखा जाए तो जिस बिरादरी के ज्यादा मत रहे हैं उस बिरादरी के चेयरमैन अब तक पद पर आसीन नहीं हुए हैं, जिस बिरादरी के सबसे कम वोट रहे हैं, वही चेयरमैन पद पर आसीन हुए हैं। 

कम वोटों वाले बनते रहे चेयरमैन
अगर आप इतिहास देखेंगे तो पता चलेगा कि मुसलमानों में खान बिरादरी का लगभग सौ से डेढ़ सौ  वोट है, लेकिन दो बार चेयरमैन की कुर्सी उनके परिवार में गयी। एक बार पिता तो दूसरी बार बेटा चेयरमैन बनने में सफल रहा। 
वहीं बाजार में कुशवाहा बिरादरी को भी देखा जाए तो 500 से 1000 के अंदर भी रहे हैं, लेकिन चेयरमैन पद उनकी बिरादरी के लोगों को हासिल हुआ है। इसके साथ ही साथ प्रजापति में भी वही स्थिति हैस लेकिन इस बिरादरी से एक चेयरमैन बन चुका है। वैश्य बिरादरी में जायसवाल वर्ग में देखा जाए तो जायसवाल का भी जनाधार 500 से 600 के बीच है, लेकिन दो बार जायसवाल बिरादरी के भी चेयरमैन बन चुके हैं। 


 इस संबंध में यह भी कहा जाता है कि जिस बिरादरी के सबसे ज्यादा ज्यादा मत हैं उस बिरादरी के सबसे ज्यादा उम्मीदवार मैदान में आने के कारण कम संख्या की जाति वाले बाजी मार ले जाते हैं जो कि पूर्व के चेयरमैन के इतिहास का आंकड़ा देखने को मिल रहा है।

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अबकी बार बिखर रहे हैं वोट
 इस बार यह भी कहा जा रहा है कि जिस बिरादरी से बीजेपी का टिकट मिला हैं, उस बिरादरी के वोट भी अधिक हैं, लेकिन वैश्य समाज के 4 कैंडिडेट भी चुनाव मैदान में जोर दिखा रहे हैं। पुष्पा आम आदमी पार्टी से, रीता देवी बीजेपी से तथा निर्दलीय रूबी गुप्ता व श्वेता गुप्ता भी चुनाव  मैदान में ताल ठोंक रही हैं।

अगर आप  मुस्लिम वर्ग में देखेंगे तो अंसारी बिरादरी में वोट अधिक हैं को उनके भी उम्मीदवार ज्यादा हैं।  मजीदुन सपा से, शाहनाज बेगम भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से , फातिमा बीबी निर्दलीय, बिलकिस निर्दलीय तथा इशरत खातून निर्दलीय चुनाव मैदान में एक दूसरे को दम दिखाने के लिए जोर आजमा रही हैं। 

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ऐसा है वोटों का समीकरण
 सैयदराजा नगर पंचायत में कुल वोटरों की संख्या लगभग 16,784 है और 18 बूथों पर मतदान होना है। इन 16 हजार वोटरों में से लगभग 10 से 12 हजार के बीच मतदान होने की संभावना है। जिस खेमे के वोट अधिक पोल होंगे और कम से कम दूसरे उम्मीदवारों में बिखरेंगे कुर्सी उसी पाले में जाएगी। इसीलिए यहां मामला हिंदु-मुसलमान भी बनाने की कोशिश होती रहती है।

 इन मतदाताओं में मुस्लिम समाज में देखा जाए तो खान, अंसारी, राइन, फारूकी, सिद्धिकी, रंगरेज  तथा मंसूरी आदि के  लगभग 6000 से 6500 वोट हैं।  वहीं हिंदू समाज में देखा जाए तो कुल  9500 से 10 हजार वोटों का समीकरण है। कुछ इसमें 1 हजार से 1100 ब्राह्मण और ठाकुर मतदाता हैं। 1500 से 2000 मतदाता कुशवाहा, मौर्य ,प्रजापति, धोबी लोहार जाति के बताए जा रहे हैं। अनुसूचित बिरादरी में देखा जाए तो लगभग 1000 से 1200 मतदाता हैं, जिसमें हरिजन, नट तथा डोम आदि बिरादरी के लोग आते हैं। इन सभी वोटों को जोड़ा जाए तो लगभग 4000 से 4500 मतदाता हो जाते हैं। शेष जो मतदाता बच रहे हैं वह वैश्य  समाज से हैं, जिनकी संख्या लगभग 6000 से 6500  के आसपास होगी। इसमें केसरी, गुप्ता, अग्रहरी, जायसवाल, मद्धेशिया आदि लोग आते हैं।

अगर जाति के आंकड़ों को देखा जाए तो नाव वही व्यक्ति जीत सकता है जो सभी बिरादरी के कुछ ना कुछ मत को हासिल कर सके, जिसके लिए लगातार सभी लोग अपने पाले में एक दूसरे वोटों को लाने का जुगाड़ लगा रहे हैं। 

 अब देखना है कि सभी पूर्व के आंकड़ों के आधार पर किस बिरादरी का चेयरमैन इस बार 2023 का चेयरमैन बनता है।

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