सपा के नेताओं को मुश्किल में डाल रही है यह चर्चा, सकते में हैं टिकट के कई दावेदार
गठबंधन में सीट जाने का डर
खतरा सताने लगा है सपा के इन नेताओं को
ऐसा है जिलाध्यक्ष का कहना
चंदौली जिले की राजनीति में तरह-तरह की चर्चाओं से पक्ष और विपक्ष में चर्चा का बाजार गर्म रहता है। फिलहाल जिस तरह से राजनेता अपने अपने इलाके में विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रहे हैं और अपने टिकट को लेकर पक्का दावा जता रहे हैं, तो वहीं कुछ लोग सीटों को लेकर एक अलग तरह की चर्चा को प्रचारित प्रसारित करने में जुटे हुए हैं। समाजवादी पार्टी इस चर्चा की सबसे अधिक शिकार हो रही है। फिलहाल सारे लोग ऐसी चर्चा को दरकिनार कर दिवाली का त्यौहार मनाने में व्यस्त हैं।
चंदौली जिले में विधानसभा की कुल 4 सीटें हैं, जिनमें से 3 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी के विधायक और एक सीट पर समाजवादी पार्टी का विधायक चुनाव जीतकर 2017 की विधानसभा में पहुंचा है। ऐसे में समाजवादी पार्टी के दावेदारों की नजर चंदौली जिले की उन तीन सीटों पर सबसे अधिक है, जहां पर भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार 2017 के चुनाव में जीतकर विधानसभा में पहुंचे हैं, लेकिन चंदौली जिले में समाजवादी पार्टी के अंदर मची घमासान और वरिष्ठ नेताओं के बीच खींचतान का आलम यह है कि वह अपनी सीट पर अपनी दावेदारी तो पक्की जता रहे हैं, लेकिन दूसरे दावेदारों की सीट पर संदेह के बादल मडराते दिखाने की कोशिश कर रहे हैं।
इसी के चलते समाजवादी पार्टी के कुछ नेता दूसरे के ऊपर सीधे तौर पर हमला तो नहीं कर रहे हैं, लेकिन परोक्ष रूप से या बंद कमरे के भीतर जमकर अपनी खीझ निकाल रहे हैं। चंदौली जिले की मुगलसराय विधानसभा सीट के अलावा सैयदराजा विधानसभा सीट पर सपा के कई दावेदार उभर कर सामने आ रहे हैं। ऐसे में समाजवादी पार्टी के कई नेता इस बात की चर्चा शुरू कर दिए हैं कि चंदौली जिले की चकिया, मुगलसराय और सैयदराजा विधानसभा की सीट में से कोई दो सीट गठबंधन की भेट चढ़ सकती है और इन तीनों सीटों में से दो सीटें समाजवादी पार्टी अपने गठबंधन वाले दलों को दे सकती हैं। ऐसे में यहां से विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायकों व नेताओं पर चेहरे की लकीरें तेज होती दिखायी दे रही हैं।
यह है जोरदार चर्चा
सैयदराजा विधानसभा से सुशील सिंह को हराकर जोरदार बदला लेने की कोशिश कर रहे मनोज कुमार सिंह डब्लू और उनके समर्थकों के लिए एक चिंता की लकीर जरूर पैदा कर रही हैं तो वहीं मुगलसराय विधानसभा सीट का दो बार प्रतिनिधित्व कर चुके रामकिशुन यादव और पिछले दो चुनावों में समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ चुके रामकिशुन के छोटे भाई बाबूलाल यादव भी समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने के तगड़े दावेदार माने जाते हैं, लेकिन जिस तरह से 2019 के चुनाव में लोकसभा की सीट का टिकट डॉक्टर संजय चौहान के हाथों में चला गया था और रामकिशुन यादव जैसे कद्दावर नेता का टिकट कट गया.. ऐसी स्थिति में एक बार फिर विधानसभा की सीट पर उनकी या उनके परिवार की दावेदारी को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है। साथ ही साथ यह भी चर्चा की जा रही है कि हर बार केवल रामकिशुन यादव या उनके परिवार का ही सदस्य चुनाव क्यों लड़ेगा.. समाजवादी पार्टी के अन्य नेता और कार्यकर्ता क्या करेंगे।
अगर नक्सल प्रभावित इलाके की चकिया विधानसभा की स्थिति देखी जाय तो वहां भी समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने वालों में सबसे अधिक दावेदारी पूर्व विधायक स्व. सत्य प्रकाश सोनकर की पत्नी व चकिया से विधायक रह चुकीं पूनम सोनकर की ही है। लेकिन उनको टक्कर देने के लिए पार्टी में रामअधार जोसेफ व पूर्व विधायक जितेन्द्र कुमार जैसे दो बड़े दावेदार पहले से ही जोर लगा रहे हैं। अगर यह सीट गठबंधन के खाते में जाती है तो पार्टी के इन दावेदारों को तगड़ा झटका लगेगा और टिकट की उम्मीद पालने वाले दूसरे दलों में संभावना तलाशने का काम कर सकते हैं।
ऐसी स्थिति में समाजवादी पार्टी की राहें काफी मुश्किल होती दिख रही हैं। अगर समाजवादी पार्टी इन तीनों सीटों में से किसी दो को गठबंधन वाले घटक दलों को देती है तो पार्टी में सब कुछ ठीक रहेगा.. यह देखने वाली बात होगी।
ऐसा बोल रहे हैं जिलाध्यक्ष
इस बारे पर समाजवादी पार्टी के जिला अध्यक्ष सत्यनारायण राजभर का कहना है कि अभी सीटों के बंटवारे और उम्मीदवारों के चयन पर पार्टी के अंदर कोई चर्चा नहीं हो रही है। अभी सारे लोग समाजवादी पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने और बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं को तैयार करने का कार्य कर रहे हैं। जैसा आलाकमान का निर्देश होगा और जैसी जिस इलाके की रिपोर्ट होगी, उसी हिसाब से गठबंधन और उम्मीदवारों का चयन किया जाएगा। इसके लिए पार्टी का संसदीय बोर्ड और उसके द्वारा निर्देशित पार्टी के आला नेता हर विधानसभा क्षेत्र की सीटों का फीडबैक ले रहे हैं और उसी के हिसाब से फैसला लिया जाएगा। अभी उम्मीदवारों की न तो घोषणा होने वाली है.. न ही इस बात पर कोई चर्चा हो रही है कि कौन सी सीट किस पार्टी के खाते में जाएगी या किस पार्टी का उम्मीदवार किस सीट पर चुनाव लड़ेगा।
रामकिशुन का वही जवाब
वहीं रामकिशुन यादव ने कहा कि पार्टी के अंदर रहते हुए पार्टी के नेताओं की बात मानना हर पार्टी के कार्यकर्ता की जिम्मेदारी है। पार्टी के लोग अपने स्तर से चुनाव की तैयारी कर रहे हैं, जिसको पार्टी अपना चुनावी सिंबल देगी.. वह समाजवादी पार्टी का उम्मीदवार होगा और बाकी सारे कार्यकर्ता उसके साथ कंधे से कंधा मिलाकर अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाने के लिए कार्य करेंगे।
इसलिए कर रहे दावेदारी
इस बारे में मनोज कुमार सिंह डब्लू ने कहा कि चुनाव में टिकट मिलना या टिकट कटना दावेदारों के हाथ में नहीं होता है। हर कोई अपनी दावेदारी करता है और पार्टी अपने हिसाब से फैसला लेती है। पार्टी जो फैसला लेती है उसे सारे कार्यकर्ताओं को मानना होता है और यही कार्य मैं खुद भी करूंगा। चुनाव की तैयारी करना और टिकट के लिए दावेदारी करना कोई गलत बात नहीं है। वह इस विधानसभा सीट से विधायक रह चुके हैं, इसलिए वह एक बार फिर अपनी तैयारी कर रहे हैं।
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