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स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली पर सख्त हुईं सदर उप जिलाधिकारी दिव्या ओझा – अनुपस्थित स्टाफ पर होगी कार्रवाई

सदर उप जिलाधिकारी (एसडीएम) दिव्या ओझा द्वारा गुरुवार को ओयरचक स्थित एडिशनल पीएचसी (प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र) और लंबे समय से बंद पड़े अमाडा सीएचसी (सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र) का औचक निरीक्षण किया गया।
 

शिकायत पर सदर उप जिलाधिकारी ने किया निरीक्षण

डॉक्टर सहित कई स्टाफ रहा अनुपस्थित

अब होगी उन पर कार्रवाई

चंदौली जिले की सदर उप जिलाधिकारी (एसडीएम) दिव्या ओझा द्वारा गुरुवार को ओयरचक स्थित एडिशनल पीएचसी (प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र) और लंबे समय से बंद पड़े अमाडा सीएचसी (सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र) का औचक निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान ओयरचक पीएचसी में स्वास्थ्य व्यवस्था काफी लचर पाई गई। डॉक्टर आशीष गुप्ता सहित अधिकांश चिकित्सा कर्मी मौके से गायब थे, जिससे मरीजों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा था।

इस दौरान ओयरचक एडिशनल पीएचसी में केवल आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुरभि राय, एलोपैथिक फार्मासिस्ट प्रदीप कुमार पांडेय और सफाई कर्मी महतीम राम उपस्थित पाए गए। शेष सभी कर्मचारी अनुपस्थित मिले। जब एसडीएम दिव्या ओझा द्वारा अनुपस्थित कर्मचारियों के बारे में जानकारी ली गई तो मौजूद स्टाफ द्वारा संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया और टालमटोल किया गया।

इसके अलावा, अमाडा सीएचसी, जो कि कई महीनों से बंद पड़ा है, की स्थिति भी अत्यंत दयनीय मिली। एसडीएम ने स्वास्थ्य केंद्र की जमीनी हालत का जायजा लिया और इसकी विस्तृत रिपोर्ट जिला अधिकारी को सौंपने की बात कही है। उन्होंने कहा कि जल्द ही इस केंद्र को पुनः सक्रिय करने के प्रयास किए जाएंगे।

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एसडीएम दिव्या ओझा ने बताया कि इस सप्ताह उन्होंने तीन अलग-अलग स्वास्थ्य केंद्रों का निरीक्षण किया है। इनमें चिरईगांव का स्वास्थ्य केंद्र भी शामिल है, जहां निरीक्षण के समय डॉक्टर अनुपस्थित पाए गए और स्वास्थ्य सेवाओं की व्यवस्था पूरी तरह अस्त-व्यस्त थी। बार-बार मिल रही शिकायतों के मद्देनज़र ही ओयरचक पीएचसी का निरीक्षण किया गया था।


निरीक्षण के बाद एसडीएम ने स्पष्ट किया कि स्वास्थ्य सेवाओं में लापरवाही कतई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अनुपस्थित डॉक्टरों और कर्मचारियों के खिलाफ जिला अधिकारी को रिपोर्ट सौंपी जाएगी और उनके विरुद्ध विधिक कार्रवाई की जाएगी।

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 इसके अतिरिक्त, मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) से भी वार्ता कर स्वास्थ्य केंद्रों को सुचारु रूप से संचालित कराने के निर्देश दिए जाएंगे।


स्थानीय लोगों का कहना है कि स्वास्थ्य केंद्रों की बदहाल स्थिति के कारण उन्हें इलाज के लिए दूरदराज के शहरों का रुख करना पड़ता है। ऐसे में शासन-प्रशासन द्वारा की गई इस सख्त कार्रवाई से उम्मीद जगी है कि आने वाले समय में ग्रामीण क्षेत्रों में भी बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकेंगी।

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इस पूरे प्रकरण से साफ है कि स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन द्वारा औचक निरीक्षण और सख्त कदम उठाना आवश्यक है। एसडीएम द्वारा की गई यह कार्रवाई एक सकारात्मक पहल मानी जा रही है, जिससे लापरवाह कर्मचारियों में जवाबदेही की भावना जागृत होगी और आमजन को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकेंगी।

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