रबी की बुआई से पहले बीज और भूमि शोधन है जरुरी, कृषि रक्षा अधिकारी ने बताए टिप्स
75% अनुदान पर उपलब्ध हैं बीज शोधक रसायन
रोग नियंत्रण से बढ़ेगी पैदावार
जान लीजिए बीज शोधन की सही विधि
भूमि शोधन से दीमक और फफूंद पर होगा नियंत्रण
चंदौली जिले में रबी की फसलों की बुआई का समय नजदीक आ रहा है, जिसे देखते हुए कृषि विभाग ने किसान भाइयों से बुआई से पहले बीज शोधन (Seed Treatment) अवश्य करने का आग्रह किया है। विभाग के अनुसार, फसलों में रोग बीज, मृदा (मिट्टी), वायु एवं कीटों द्वारा फैलते हैं, और कई बीज जनित रोगों का कोई भी उपचार बाद में संभव नहीं हो पाता है। इसलिए आगामी फसल को बीज जनित/भूमि जनित रोगों से बचाने के लिए बीज शोधन अत्यंत महत्वपूर्ण है।

बीज शोधन की सही विधि:
- बीज शोधन का कार्य रासायनिक या जैविक दोनों तरीकों से किया जा सकता है:
- रासायनिक विधि: इसके लिए किसान कार्बेन्डाजिम 50% या थीरम 75% रसायन का प्रयोग 2.5 ग्राम से 3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से कर सकते हैं।
- जैविक विधि: किसान ट्राइकोडर्मा जैविक रसायन का प्रयोग 5 से 10 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से कर सकते हैं।
- कृषि विभाग का कहना है कि बीज शोधन द्वारा फसल की रोगों से सुरक्षा सुनिश्चित कर अधिक पैदावार ली जा सकती है, जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी।

भूमि शोधन से दीमक और फफूंद पर नियंत्रण:
बीज शोधन के साथ-साथ भूमि शोधन (Soil Treatment) भी आवश्यक है। भूमि शोधन हेतु किसान 2.5 किग्रा/हेक्टेयर ट्राइकोडर्मा या ब्यूबेरिया बैसियाना बायो रसायन को 75 किग्रा सड़ी हुई गोबर की खाद में मिलाकर 10-12 दिन तक छायादार स्थान पर रखें। नमी बनाए रखने के लिए पानी के छींटे मारें। बुआई से पहले इस बायोपेस्टीसाइड युक्त खाद को खेत की जुताई के समय मिट्टी में मिला दें। इससे खेत में मौजूद दीमक और हानिकारक फफूंद से छुटकारा मिलेगा और साथ ही जैविक खाद की कमी भी पूरी होगी।
किसान भाइयों को सूचित किया गया है कि बीज शोधन/भूमि शोधन रसायन कृषि रक्षा इकाइयों पर 75 प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध हैं। अधिक जानकारी के लिए किसान अपने विकासखंड की कृषि रक्षा इकाई पर संपर्क कर सकते हैं।
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