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फैसला वापस नहीं लिया तो करेंगे आंदोलन: शिक्षकों ने कलेक्ट्रेट में सौंपा ज्ञापन

शिक्षक नेताओं ने कहा कि परिषदीय स्कूल केवल पढ़ाई का केंद्र नहीं हैं, बल्कि गरीब और ग्रामीण इलाकों में सामाजिक समरसता, बालिका शिक्षा और मूलभूत सुविधाओं के विस्तार के माध्यम भी हैं।
 

परिषदीय स्कूल बंद करने के फैसले का विरोध

कलेक्ट्रेट पहुंचकर एसडीएम को सौंपा ज्ञापन

निजी स्कूलों को बढ़ावा देने का लगाया आरोप

शिक्षक संघ ने दी आंदोलन की चेतावनी

चंदौली जिले में उत्तर प्रदेशीय शिक्षक संघ के पदाधिकारियों ने शुक्रवार को कलेक्ट्रेट पहुंचकर उप जिलाधिकारी (एसडीएम) विराग पांडेय से मुलाकात की और परिषदीय स्कूलों को बंद करने के शासन के निर्णय का विरोध करते हुए ज्ञापन सौंपा। शिक्षकों ने आरोप लगाया कि सरकार बच्चों को बेहतर सुविधाएं देने के बजाय शिक्षा व्यवस्था को कमजोर कर रही है। उन्होंने सरकार से इस फैसले को तुरंत वापस लेने की मांग की और चेतावनी दी कि अगर निर्णय रद्द नहीं हुआ तो प्रदेशव्यापी आंदोलन किया जाएगा।

संघ के जिलाध्यक्ष विनोद कुमार सिंह ने कहा कि अगर सरकार का नया फरमान लागू हुआ तो गरीब और पिछड़े परिवारों के बच्चे शिक्षा से वंचित हो जाएंगे। जिले की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए खासकर बेटियों की सुरक्षा को लेकर भी परिजनों को भारी परेशानी होगी। उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूल बंद होने के बाद निजी स्कूलों का बोलबाला हो जाएगा और गरीब अभिभावकों से मनमानी फीस वसूली की जाएगी।

शिक्षक नेताओं ने कहा कि परिषदीय स्कूल केवल पढ़ाई का केंद्र नहीं हैं, बल्कि गरीब और ग्रामीण इलाकों में सामाजिक समरसता, बालिका शिक्षा और मूलभूत सुविधाओं के विस्तार के माध्यम भी हैं। सरकार का यह कदम बच्चों के भविष्य के साथ अन्याय होगा।

संघ ने एसडीएम को सौंपे पत्रक में मांग की कि सरकार गरीब और कमजोर वर्ग के बच्चों की शिक्षा का अधिकार सुनिश्चित करे और परिषदीय स्कूलों को बंद करने की योजना को तत्काल वापस ले। शिक्षक नेताओं ने यह भी कहा कि अगर उनकी मांगों पर गौर नहीं किया गया तो संगठन जिले से लेकर राजधानी तक बड़ा आंदोलन छेड़ेगा।

एसडीएम विराग पांडेय ने शिक्षक प्रतिनिधियों की बातें ध्यान से सुनीं और ज्ञापन शासन तक पहुंचाने का आश्वासन दिया।

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