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जनपद में फैला है नील गायों का आतंक, हर साल लाखों की फसलों को हो रहा नुकसान ​​​​​​​

नील गायों का बढ़ता आतंक किसानों के लिए गंभीर समस्या बन गया है। हर साल ये नील गाय खरीद, पटनवा, नकनामपुर, दूदे, मवैया सहित आसपास के गांवों के किसानों की फसलों को 'भारी नुकसान पहुंचाती हैं।
 

  कई गांवों के किसान हो रहे हैं परेशान

खरीद, पटनवा, नकनामपुर, दूदे, मवैया गांवों के किसानों को होता है नुकसान

 गेहूं की फसल को हो रहा है नुकसान

चंदौली जिले में नील गायों का बढ़ता आतंक किसानों के लिए गंभीर समस्या बन गया है। हर साल ये नील गाय खरीद, पटनवा, नकनामपुर, दूदे, मवैया सहित आसपास के गांवों के किसानों की फसलों को 'भारी नुकसान पहुंचाती हैं। इस बार भी लगभग दस से बारह की संख्या में झुंड बनाकर नील गाय खेतों में घुस रही हैं और किसानों की मेहनत पर पानी फेर रही हैं।


बताते चलें कि इन गांवों के खेतों में इस समय गेहूं की नर्सरी खड़ी है। किसानों का कहना है कि ये नील गाय न केवल उनकी फसलों को खा जाती हैं, बल्कि अपने पैरों से रौंदकर उन्हें पूरी तरह बर्बाद कर देती हैं। ऐसे में किसानों को भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है। 


टूदे गांव के किसान कल्लू सिंह ने बताया कि पिछले साल भी नील गायों ने हमारी लगभग पूरी फसल बर्बाद कर दी थी। हमने स्थानीय प्रशासन से गुहार लगाई, लेकिन आज तक कोई समाधान नहीं निकला। इस साल भी वही हाल है। खरीद के किसान धर्मेंद्र सिंह का कहना है कि हम रात-दिन खेतों की रखवाली करते हैं, लेकिन झुंड में आने वाली नील गायों को रोकना नामुमकिन हो जाता है। क्षेत्रीय किसानों ने कहा कि नील गायों की समस्या अब साल-दर-साल बढ़‌ती जा रही है। प्रशासन की उदासीनता से उनकी परेशानियां और बढ़ गई हैं।


 किसानों ने सरकार और प्रशासन से मांग की है कि नील गायों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। इन नील गायों को सुरक्षित तरीके से जंगलों में ले जाया जाए या उनके नियंत्रण के लिए विशेष अभियान चलाया जाए।

                                                                                                                                                                                                             

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