Tips for Mango Farming : आम की फसल बचाने के लिए बागवान अपनाएं सही प्रबंधन

आम के बौर और फलों को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों से बचाव जरूरी
गुजिया और मिज कीट आम की फसल के लिए बड़ा खतरा
जिला उद्यान अधिकारी ने बागवानों को सावधानी बरतने की सलाह दी
चंदौली जिले में बागवानों को आम की फसल का अच्छा उत्पादन लेना है तो सम सामयिक हानिकारक कीटों से बचाना होगा। विशेषकर बौर लगने के साथ ही गुजिया व मिज कीट का प्रकोप प्रारंभ हो जाता है। इनसे बचाव के लिए यदि प्रबंधन नहीं किया गया तो कीट फसल को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

गुजिया कीट से बचाव :
गुजिया कीट के शिशु 1-2 मिमी लंबे व हल्के गुलाबी रंग के चपटे व मादा वयस्क कीट सफेद रंग के पंखहीन व चपटे होते हैं। इस कीट के नियंत्रण के लिए बागों की गहरी जोताई-गुड़ाई कराकर शिशु कीट को पेड़ों पर चढ़ने से रोकने के लिए पेड़ के मुख्य तने पर भूमि से 50-60 सेमी की ऊंचाई तक 400 गेज की पालीथीन शीट को चारों ओर लपेट कर ऊपर व नीचे सुतली से बांध कर पालीथीन शीट के ऊपरी व निचली हिस्से पर ग्रीस लगा देना चाहिए ताकि कीट पेडों के ऊपर न चढ़ सकें। अधिक प्रकोप की स्थिति में यदि कीट पेड़ों पर चढ़ जाते हैं तो मोनोक्रोटोफास 36 ईसी 1.0 मिली अथवा डायमेथोएट 30 ईसी 2.0 मिली दवा को प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए।

मिज कीट से कैसे करें बचाव :
मिज कीट आम के बौर में लगने वाले मंजरियों, तुरंत बने फूल व फलों व बाद में मुलायम कोपलों में अंडे देते हैं। इसकी सूड़ी अंदर ही अंदर खाकर क्षति पहुंचाती है। इस कीट के नियंत्रण के लिए बागों की जोताई-गोड़ाई फेनिट्रोथियान 50 ईसी 1.0 मिली अथवा डायजिनान 20 ईसी 2.0 मिली या फिर डायमेथोएट 30 ईसी 1.5 मिली दवा प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर और निकलने की अवस्था पर छिड़काव करना लाभप्रद होगा।
इस संबंध में जिला उद्यान अधिकारी डा. शैलेंद्र देव दुबे ने बताया कि गुजिया व मिज कीट मुलायम पत्तियों, मंजरियों फलों से रस चूसकर क्षति पहुंचाते हैं। बौर व फलियां सूखकर गिरने लगती है, इससे उत्पादन प्रभावित होता है।
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