क्षय रोग मुक्त गांवों पर 3 साल तक रखी जाएगी नजर, सहयोग करने वाले ग्राम प्रधानों को कांस्य प्रतिमा और प्रशस्ति पत्र से किया गया था सम्मानित

चंदौली की 153 ग्राम पंचायतें अब तक घोषित हुईं टीबी मुक्त, ग्राम प्रधानों को कांस्य गांधी प्रतिमा और प्रशस्ति पत्र से किया गया सम्मानित, 3 वर्षों तक की जाएगी टीबी मुक्त पंचायतों की सतत निगरानी, वर्ष 2025 तक देश को क्षय रोग मुक्त बनाने का है केंद्र सरकार का लक्ष्य
चंदौली जिले की 734 ग्राम पंचायतों में से अब तक 153 को क्षय रोग (टीबी) मुक्त घोषित किया जा चुका है। स्वास्थ्य विभाग इन पंचायतों पर आगामी तीन वर्षों तक सतत निगरानी रखेगा, ताकि पुनः संक्रमण की संभावना न पनप सके। टीबी मुक्त घोषित ग्राम पंचायतों के प्रधानों को विभाग द्वारा सम्मानित किया गया है। उन्हें कांस्य से निर्मित महात्मा गांधी की प्रतिमा और प्रशस्ति पत्र भेंट किए गए। मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. वाईके राय ने बताया कि टीबी उन्मूलन में ग्राम प्रधानों की सक्रिय भूमिका रही है। केंद्र सरकार वर्ष 2025 तक देश को क्षय रोग मुक्त बनाने के लक्ष्य की ओर बढ़ रही है, जिसके तहत जिले में भी तेजी से काम किया जा रहा है।

टीबी मुक्त पंचायत घोषित करने के लिए विभाग ने छह मानक निर्धारित किए हैं। इनमें प्रति हजार आबादी पर 30 लोगों की जांच, प्रति हजार पर एक से अधिक मरीज न होना, पिछले वर्ष चिन्हित 85% मरीजों का सफल इलाज, 60% से अधिक मरीजों की ड्रग सेंसिटिविटी जांच, नियमित फॉलोअप और टीबी के प्रति जनजागरूकता शामिल है। इस वर्ष के अंत तक अन्य ग्राम पंचायतों को भी टीबी मुक्त करने के प्रयास जारी हैं।

अब तक घोषित टीबी मुक्त पंचायतों में चंदौली विकास खंड की सर्वाधिक 27, चहनियां व धानापुर की 19-19, नियामताबाद की 17, चकिया व शहाबगंज की 13-13, बरहनी की 9, सकलडीहा की 7 और नौगढ़ की 5 पंचायतें शामिल हैं। इससे पहले पहले चरण में 24 पंचायतें टीबी मुक्त घोषित हुई थीं, जबकि दूसरे चरण में 129 पंचायतें शामिल की गईं। स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि समुदाय में जागरूकता और समय पर उपचार से टीबी को पूरी तरह समाप्त किया जा सकता है।
डॉ. वाईके राय के अनुसार, "टीबी मुक्त हो चुकी ग्राम पंचायतों की तीन साल तक निगरानी की जाएगी और अन्य पंचायतों को भी इस अभियान से जोड़ने के प्रयास तेजी से चल रहे हैं।" टीबी के लक्षणों में लगातार खांसी, बुखार, वजन घटना, थकान, रात को पसीना आना, शरीर में गांठ या महिलाओं में बांझपन जैसे संकेतों को नजर अंदाज न करने की अपील की गई है।
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