मलेरिया विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों की एक दिवसीय कार्यशाला
एंटोंमोलॉजिस्ट डॉ.अमित कुमार सिंह ने वेक्टर जनित रोगों से संबंधित जानकारी दी
बीमारियों से बचाव के बारे में भी समझाया
चंदौली जिले में मलेरिया विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों के लिये गुरुवार को एक दिवसीय “एंटोंमोलॉजिकल कार्यशाला” का आयोजन मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के सभागार में किया गया। कार्यशाला में सभी प्राथमिक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के बेसिक हेल्थ वर्कर, हेल्थ सुपरवाइजर, स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी तथा मलेरिया विभाग के अधिकारी व कर्मचारी शामिल थे ।
कार्यशाला में वाराणसी मंडल के जोनल एंटोंमोलॉजिस्ट डॉ. अमित कुमार सिंह ने वेक्टर जनित रोगों से संबंधित जानकारी दी, उन्होंने इनके प्रकार, उनकी पहचान, उनका जीवन चक्र, हाउस इंडेक्स कंटेनर इंडेक्स ,मच्छरों का घनत्व, लार्वा का घनत्व निकालने के बारे में विस्तार पूर्वक बताया। इसके साथ ही मच्छर पनपने वाले स्रोतों की खोज तथा उनका निवारण कर लोगों को इन बीमारियों से बचाव के बारे में भी समझाया।
कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ वाई के राय ने कहा कि मलेरिया में परजीवी संक्रमण और लाल रक्तकोशिकाओं के नष्ट होने के कारण थकान की वजह से एनीमिया, दौरा या चेतना की हानि की स्थिति बन जाती है। सेरिब्रल मलेरिया में परजीवी रक्त के जरिये मस्तिष्क तक पहुंच जाते हैं और यह शरीर के अन्य अंगों में भी पहुंच कर हानि पहुंचाते हैं। गर्भावस्था में मलेरिया का होना गर्भवती के साथ-साथ भ्रूण और नवजात के लिए भी खतरा है । यह बीमारी मादा मच्छर एनोफीलिज के काटने के कारण होती है।
जिला मलेरिया अधिकारी जेपी सोनकर ने बताया कि मलेरिया का मच्छर सामान्यतः शाम और सुबह के बीच काटता है । अगर किसी स्वस्थ व्यक्ति को मलेरिया का संक्रमित मच्छर काटता है तो वह स्वयं तो संक्रमित होगा ही, दूसरे को भी संक्रमित कर सकता है । मच्छर के काटने के बाद इसका परजीवी लीवर के जरिये लाल रक्त कोशिकाओं तक पहुंचता है और संक्रमण पूरे शरीर में फैलने लगता है और यह रक्त कोशिकाओं को तोड़ने लगता है । संक्रमित रक्त कोशिकाएं हर 48 से 72 घंटे में फटती रहती हैं और जब भी फटती हैं बुखार, ठंड लगना और पसीना आने जैसे लक्षण भी सामने आते हैं ।
जिला सहायक मलेरिया अधिकारी राजीव सिंह ने कहा कि मलेरिया निरीक्षकों की टीम जिले में मच्छरों के लार्वा को नष्ट करने के लिए संबंधित विभागों और सामुदायिक योगदान के जरिये अभियान में जुटे हुए हैं, लेकिन लोगों की सतर्कता अधिक आवश्यक है। मलेरिया बचाव का सबसे बेहतर उपाय है कि पूरे बांह के कपड़े पहनें , मच्छरदानी का इस्तेमाल करें, मच्छररोधी क्रीम लगाएं, घर में मच्छररोधी अगरबत्ती का इस्तेमाल करें। घरों में कीटनाशकों का छिड़काव करें, खुली नालियों में मिट्टी का तेल डालें ताकि मच्छरों के लार्वा न पनपने पाएं, मच्छरों के काटने के समय शाम व रात को घरों और खिड़कियों के दरवाजे बंद कर लें। इन उपायों के बावजूद अगर लक्षण दिखें तो मलेरिया की जांच करवा कर इलाज करवाएं ।
कार्यशाला में डॉ यूके सान्याल, डीएमओ जीपी सोनकर, एडीएमओ राजीव सिंह, वरिष्ठ मलेरिया निरीक्षक अनिल कुमार दुबे व मलेरिया निरीक्षक दीप्ति शर्मा ने अपने विचार व्यक्त किए।
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