क्या आबकारी विभाग को मालूम है.. भांग की दुकान पर बिकता है गांजा..?
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चंदौली जिले में भांग की दुकानों से पुलिस की वसूली का लिस्ट तो वायरल हो गई लेकिन इसकी मुख्य वसूली व मामले में संलिप्त आबकारी विभाग की वसूली कब वायरल होगी..? लोगों में इसकी भी चर्चाएं वखूब चल रही है। कहा जा रहा है कि भांग की दुकानों से गांजा बेंचने का खेल पुलिस व आबकारी के संयुक्त संरक्षण में चलता है। दोनों महकमे को बंधी बधाई रकम मिलती है, जिसके कारण व मूकदर्शक बने रहते हैं।
बताते चलें कि चंदौली जिले में भांग की दुकानों से अवैध वसूली का सूची वायरल करने वाला व्यक्ति गिरफ्तार कर जेल भी भेज दिया गया है, लेकिन जिस विभाग से पंजीकृत दुकानों का नाता है उन विभागों की जा रही वसूली की लिस्ट अभी तक सामने नहीं आ रही है। जिस पर लोगों की चर्चाएं चल रही है की सारे भांग के दुकानों पर गाजा धड़ल्ले से बिक रहा है। लोग तो भांग की दुकान के नाम के जगह गांजे की दुकान के नाम से भी उन स्थानों को पुकारते हैं । क्योकि भांग की दुकानों को गांजा की दुकान बनाने वाले विभागों की वसूली का खुलासा नहीं हो रहा है। इस संबंध में नाम नोट छापने के शर्त पर कुछ भांग बेचने वाले ठेकेदारों का कहना है कि 3000 से 5000 तक के आबकारी विभाग की महीना देना होता है, तो आप भी जानते हैं कि भांग की बिक्री किस प्रकार होती है।
वे कहते हैं कि अगर गांजा न बिके तो कहां से सबको पैसा दिया जाएगा और लाइसेंस की गई रकम को किस प्रकार पूर्ण किया जाएगा। यह बात को अधिकारी भी जानते हैं और पुलिस वाले भी। कार्रवाई के नाम पर वसूली का रेट बढ़ता है। काम कहां रुकने वाला है।
उसने यह भी बताया कि जनपद के लगभग सभी दुकानों पर गांजा बेचने का कार्य किया जाता है तथा कुछ अवैध दुकान भी संचालित हैं जो केवल गांजा ही बेचने का कार्य करती हैं । लेकिन इन दुकानों पर संबंधित विभाग द्वारा कोई कार्यवाही न करने के कारण कहीं ना कहीं इस मामले में विभाग संलिप्तता इस वसूली को पुख्ता करता जा रहा है। आप खुद सोच सकते हैं कि किसी आबकारी अधिकारी द्वारा अब तक अवैध तरीके से दिख रहे भांग की दुकान पर गांजे के खिलाफ कोई कार्यवाही जिले में देखने को नहीं मिली है।
अब देखना है कि इससे जिला प्रशासन व संबंधित विभाग पूरे मामले को किस नजरिए से देखता है और गांजे की अवैध बिक्री पर किस तरह से रोक लगाता है या माल लेकर गांजा बेचने की योजना को जारी रखता है।
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