ऑपरेशन कन्विक्शन में 5 हत्यारों को मिली आजीवन कारावास की सजा
चंदौली पुलिस को मिली बड़ी सफलता
हत्या के मामले में 16 साल बाद मिली सजा
आजीवन कारावास के साथ-साथ 20,000 रुपये का अर्थदंड
उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा चलाए जा रहे "ऑपरेशन कन्विक्शन" अभियान को चंदौली में एक और बड़ी सफलता मिली है। पुलिस की प्रभावी विवेचना और अभियोजन पक्ष की मजबूत पैरवी के कारण, एक 16 साल पुराने हत्या के मामले में न्यायालय ने 5 अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
2009 के हत्या मामले में मिला न्याय
यह मामला 7 फरवरी 2009 का है, जब बलुआ थाने में 5 अभियुक्तों के खिलाफ हत्या और आर्म्स एक्ट सहित कई धाराओं में मामला दर्ज किया गया था। इस मामले में पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ पुख्ता सबूत जुटाए, जिसकी बदौलत 16 साल बाद पीड़ितों को न्याय मिल सका।
30 अगस्त 2025 को, अपर सत्र न्यायाधीश श्री परितोष श्रेष्ठ की अदालत ने इन 5 अभियुक्तों - केशरी सिंह, सुनील सिंह, अजीत सिंह, संतोष और धर्मराज सिंह - को दोषी ठहराया।
न्यायालय ने सुनाई कठोर सजा
अदालत ने सभी 5 अभियुक्तों को धारा 302/149 के तहत आजीवन कारावास और 20,000 रुपये का अर्थदंड सुनाया। अर्थदंड न देने पर उन्हें 3 महीने का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।
इसके अलावा, सभी 5 अभियुक्तों को अन्य धाराओं में भी सजा सुनाई गई:
धारा 147: 1 वर्ष का कारावास और 1,000 रुपये का जुर्माना (जुर्माना न देने पर 15 दिन का अतिरिक्त कारावास)।
धारा 148: 1 वर्ष का कारावास और 1,000 रुपये का जुर्माना (जुर्माना न देने पर 15 दिन का अतिरिक्त कारावास)।
वहीं, अभियुक्त केशरी सिंह और धर्मराज सिंह को आर्म्स एक्ट (धारा 25/27) के तहत भी दोषी पाया गया, जिसके लिए उन्हें 3 साल का कारावास और 10,000 रुपये का जुर्माना देना होगा। जुर्माना न भरने पर उन्हें एक माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।
पुलिस और अभियोजन की प्रभावी भूमिका
इस मामले में पुलिस अधीक्षक आदित्य लांग्हे के निर्देशन, अपर पुलिस अधीक्षक अनंत चंद्रशेखर के पर्यवेक्षण और मॉनिटरिंग सेल प्रभारी निरीक्षक मुकेश तिवारी की गुणवत्तापूर्ण विवेचना ने अहम भूमिका निभाई। इसके साथ ही, अभियोजक अवधेश पांडे (अपर शासकीय अधिवक्ता) और थाना बलुआ के पैरोकार नागेंद्र की प्रभावी पैरवी ने भी सुनिश्चित किया कि अपराधियों को उनके किए की कड़ी सजा मिले।
यह फैसला दिखाता है कि "ऑपरेशन कन्विक्शन" अभियान पुराने और गंभीर मामलों को भी तार्किक परिणति तक पहुंचाने में पूरी तरह से सफल रहा है, जिससे अपराधियों के बीच कानून का खौफ फिर से कायम हो रहा है।
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