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मोटरसाइकिल पर छूट दिलाने के नाम पर फर्जीवाड़ा, एक आरोपी गिरफ्तार

पीड़िता की तहरीर के आधार पर पुलिस ने थाना धानापुर में मु.अ.सं. 89/2025 के तहत भारतीय न्याय संहिता की धाराओं 111(2), 318(2), 336(3), 338, और 339 के तहत मामला दर्ज किया।
 

धानापुर पुलिस ने पकड़ा जालसाज

कई मासूमों को बना चुका था शिकार

फर्जी ‘वेलफेयर फाउंडेशन’ के नाम पर करता था ठगी

चंदौली जिले के धानापुर थाना क्षेत्र के ग्राम रायपुर बभनियांव निवासी अर्चना देवी के साथ KLCR ह्यूमन वेलफेयर फाउंडेशन नामक संगठन के नाम पर धोखाधड़ी की गई। फाउंडेशन के प्रबंधक निसार अहमद और मैनेजर विशाल ने मोटरसाइकिल पर छूट दिलाने का झांसा देकर पूरा पैसा ले लिया, लेकिन बाद में किस्त पर वाहन उपलब्ध कराकर बाकी रकम हड़प ली। इस पूरे फर्जीवाड़े के पीछे की साजिश धीरे-धीरे सामने आ रही है।

धोखाधड़ी की शिकायत पर मुकदमा दर्ज
पीड़िता की तहरीर के आधार पर पुलिस ने थाना धानापुर में मु.अ.सं. 89/2025 के तहत भारतीय न्याय संहिता की धाराओं 111(2), 318(2), 336(3), 338, और 339 के तहत मामला दर्ज किया। शिकायत में बताया गया कि आरोपी केवल एक-दो लोगों से नहीं, बल्कि कई ग्रामीणों से इस तरह ठगी कर चुका है।

विशाल उर्फ भीम ज्योति गिरफ्तार, पूछताछ में खोले राज
मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने अभियुक्त विशाल उर्फ भीम ज्योति को सैयदराजा थाना क्षेत्र के बगही कुम्भापुर स्थित उसके घर से गिरफ्तार किया। पूछताछ में उसने कबूल किया कि वह KLCR फाउंडेशन में स्टाफ के रूप में काम करता था और उसके हस्ताक्षर वाली रसीदों के जरिए ही लोगों से पैसा वसूला जाता था।

विशाल ने बताया कि जनवरी 2025 से फर्जी वाहन योजना चलाई गई थी, जिसमें ऑन रोड व ऑफ रोड पर छूट का लालच दिया जाता था। इच्छुक व्यक्तियों के आधार कार्ड, पैन कार्ड और बैंक पासबुक लेकर उनके नाम पर प्राइवेट फाइनेंस कंपनी से लोन करा लिया जाता और कुछ महीने ईएमआई जमा करने के बाद भुगतान बंद कर दिया जाता। इस दौरान वाहन मालिकों को कुछ पता नहीं चलता, जब तक नोटिस नहीं पहुंचता।

प्रशासनिक सख्ती में दिखा असर
चंदौली के पुलिस अधीक्षक आदित्य लांग्हे के निर्देश पर चल रहे अभियान के तहत आरोपी की गिरफ्तारी हुई। अपर पुलिस अधीक्षक अनंत चन्द्रशेखर और क्षेत्राधिकारी रघुराज की निगरानी में प्रभारी निरीक्षक शरद गुप्ता, उपनिरीक्षक रामदयाल, हेड कांस्टेबल मनोज और कांस्टेबल बबलू चौहान की टीम ने यह सफलता पाई।

फर्जीवाड़ा या संगठित अपराध?
पूछताछ से साफ है कि यह कोई एक-दो बार की ठगी नहीं थी, बल्कि एक संगठित तरीके से लोगों को योजनाबद्ध तरीके से फंसाया जा रहा था। आरोपी के खिलाफ पहले से दर्ज मामलों की जानकारी एकत्र की जा रही है, जिससे यह पता चल सके कि उसने कितने लोगों को इसी तरह धोखा दिया।

इस घटना से साफ है कि ग्रामीण क्षेत्रों में फर्जी फाउंडेशन और झूठी योजनाओं के जरिए भोले-भाले लोगों को निशाना बनाया जा रहा है। यह एक चेतावनी है कि बिना सरकारी वैधता और जांच के किसी भी योजना पर भरोसा करना जोखिम भरा हो सकता है। पुलिस प्रशासन से उम्मीद की जाती है कि ऐसे फर्जीवाड़ों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर आमजन को राहत दिलाई जाएगी।

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