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12 फरवरी को है जया एकादशी व्रत, इस दिन जरूर करें इस आरती का पाठ

माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि जया एकादशी व्रत कहलाती है। मान्यता है कि जया एकादशी व्रत करने से व्यक्ति को मोक्ष, पाप-कष्ट से मुक्ति मिलती है।
 

12 फरवरी को है जया एकादशी व्रत

इस दिन जरूर करें इस आरती का पाठ
 

माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि जया एकादशी व्रत कहलाती है। मान्यता है कि जया एकादशी व्रत करने से व्यक्ति को मोक्ष, पाप-कष्ट से मुक्ति मिलती है।  जया एकदाशी के दिन भगवान विष्णु की आराधना की जाती है। पूजन में भगवान विष्णु को पुष्प, जल, अक्षत, रोली तथा विशिष्ट सुगंधित पदार्थों अर्पित करना चाहिए। 


जया एकादशी का यह व्रत बहुत ही पुण्यदायी होता है। मान्यता है कि इस दिन श्रद्धापूर्वक व्रत करने वाले व्यक्ति को भूत-प्रेत, पिशाच जैसी योनियों में जाने का भय नहीं रहता है। भगवान विष्णु की कृपा से मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है, कष्टों से मुक्ति मिलती है, अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति प्राप्त होती है। इस दिन पूजा के बाद एकादशी की आरती करना लाभकारी माना जाता हैं।  

 जया एकादशी व्रत,


जया एकादशी तिथि एवं पूजा मुहूर्त


एकादशी तिथि आरंभ:  11 फरवरी, शुक्रवार दोपहर 01:52 मिनट पर  
एकादशी तिथि समाप्त: 12 फरवरी, शनिवार सायं 04:27 मिनट तक 


उदयातिथि 12 फरवरी दिन शनिवार को है, इसलिए  जया एकादशी व्रत 12 फरवरी को मान्य है। 


जया एकादशी शुभ मुहूर्त आरंभ :  12 फरवरी, शनिवार, दोपहर 12:13 मिनट से 
जया एकादशी शुभ मुहूर्त समाप्त: 12 फरवरी, शनिवार, दोपहर 12: 58 मिनट तक 

जया एकादशी व्रत


जया एकादशी व्रत पारण समय


13 फरवरी,  रविवार प्रात: 07: 01 मिनट से  प्रातः 09: 15 मिनट के मध्य तक 


एकादशी की आरती   

ॐ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता ।
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता ।। ॐ।।

तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी ।
गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी ।।ॐ।।

मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी।
शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई।। ॐ।।

पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है,
शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै ।। ॐ ।।

नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।
शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै ।। ॐ ।।

जया एकादशी व्रत

विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी,
पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की ।। ॐ ।।

चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली,
नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली ।। ॐ ।।

शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी,
नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी।। ॐ ।।

योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी।
देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी ।। ॐ ।।

कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।
श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए।। ॐ ।।

अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।
इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला।। ॐ ।।

पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी।
रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी ।। ॐ ।।

देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया।
पावन मास में करूं विनती पार करो नैया ।। ॐ ।।

परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी।।
शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्र हरनी ।। ॐ ।।

जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै।
जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै।। ॐ ।।

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