रावण ने शनि देव को क्यों बनाया था 'बंदी'?, पढ़ें यह पौराणिक कथा
रावण ने शनि देव को क्यों बनाया था 'बंदी'?
पढ़ें यह पौराणिक कथा
कहा जाता है कि हनुमान जी ने शनि देव को रावण से मुक्त कराया था। इस कारण से शनि देव कभी भी हनुमान जी के भक्तों को परेशान नहीं करते हैं।
आइए जानते हैं शनि देव और रावण की कथा के बारे में:
रावण के पुत्र इंद्रजीत का जन्म होने वाला था। रावण की इच्छा थी कि उसके बेटे के समान इस पूरी सृष्टि में कोई दूसरा न हो। वह बलशाली होने के साथ ही प्रकाण्डय विद्वान तथा ज्योतिष का जानकार भी था। उसने अपने बल से सभी ग्रहों को अपने पुत्र के अनुकूल कर दिया था, लेकिन शनि देव ही उसके वश में नहीं थे। वह चाहता था, किस सभी ग्रह उसके पुत्र के जन्म के समय अच्छी स्थिति में हों, ताकि इंद्रजीत महान योद्धा और दीर्घायु हो।
रावण ने अपनी विद्या से शनि देव को भी इस स्थिति में ला दिया कि वे एक बंदी के समान हो गए। लेकिन शनि देव की दृष्टि से कौन बच सका है। इंद्रजीत के जन्म के समय शनि देव ने अपनी दृष्टि टेढ़ी कर दी, जिसके कारण उसकी कुंडली में लक्ष्मण जी के हाथों वध होने का योग बन गया।
इस बात का ज्ञान जब रावण को हुआ तो वह बेहद नाराज हो गया। उसने अपने गदे से शनि देव के पैर पर मार दिया। तबसे शनि देव लंगड़ाकर चलने लगे और उनकी चाल धीमी हो गई। इस वजह से सभी ग्रहों में शनि की चाल सबसे धीमी है, इसलिए शनि अपना एक चक्र पूरा करने में करीब 30 साल का समय लेते हैं।
चंदौली जिले की खबरों को सबसे पहले पढ़ने और जानने के लिए चंदौली समाचार के टेलीग्राम से जुड़े।*