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आज है आषाढ़ माह का पहला प्रदोष व्रत, जानिए शुभ मुहूर्त, व्रत और पूजा विधि ​​​​​​​

हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का दिन शिवजी की कृपा पाने के लिए सबसे बहुत उत्तम माना जाता है।  इस दिन भगवान शिव के साथ ही माता पार्वती की भी पूजा की जाती है।  
 

हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का दिन शिवजी की कृपा पाने के लिए सबसे बहुत उत्तम माना जाता है।  इस दिन भगवान शिव के साथ ही माता पार्वती की भी पूजा की जाती है।  ऐसी मान्यता है कि इस शुभ दिन पर भगवान भोलेनाथ की पूजा करने से सभी ग्रहों का अशुभ प्रभाव जीवन से समाप्त होता है और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। 


इस बार प्रदोष व्रत की तारीख को लेकर लोगों में कंफ्यूजन बना हुआ है कि प्रदोष व्रत 3 जुलाई को रखा जाएगा या 4 जुलाई को। आइए आपकी इस कंफ्यूजन को दूर करते हैं। 


हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रदोष व्रत हर माह में दो बार पड़ता है. पहला कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर और दूसरा शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर. जुलाई माह में पहला प्रदोष व्रत आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर रखा जाएगा।  प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं।  बुधवार के दिन पड़ने की वजह से इसे बुध प्रदोष कहा जाता है।  इस दिन व्रत करने से मनचाहा वर मिलता है।  इस दिन भगवान शिव की विधि अनुसार पूजा और सभी पूजा नियमों का पालन करना चाहिए। 


प्रदोष व्रत तिथि 2024 


आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 3 जुलाई 2024, बुधवार को सुबह 07:10 मिनट पर शुरू होगी। 
आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 4 जुलाई 2024, गुरुवार को सुबह 05:54 मिनट पर समाप्त होगी। 


कब है आषाढ़ प्रदोष व्रत 2024


बुधवार का दिन पड़ने से इस व्रत को बुध प्रदोष व्रत कहा जाएगा। हिंदू धर्म में उदया तिथि का खास महत्व होता है।  ऐसे में उदया तिथि के अनुसार आषाढ़ माह का पहला प्रदोष व्रत 3 जुलाई 2024 को ही रखा जाएगा। 


जुलाई प्रदोष व्रत पूजा शुभ मुहूर्त 2024 


बुधवार के दिन 3 जुलाई को प्रदोष काल शाम 7:23 मिनट से लेकर रात 9:24 मिनट तक रहेगा।  इस दौरान भक्त किसी भी समय शिवजी की पूजा कर सकते हैं।  पूजा की कुल अवधि 2 घंटे 1 मिनट रहेगी। 


प्रदोष व्रत 2024 रुद्राभिषेक समय 


प्रदोष व्रत के दिन यानी 3 जुलाई को शिववास नंदी पर प्रात:काल से लेकर सुबह 7 बजकर 10 मिनट तक है और उसके बाद शिववास भोजन में है।  प्रदोष व्रत वाले दिन भक्त सूर्योदय के बाद से रुद्राभिषेक कर सकते हैं। 


प्रदोष व्रत रुद्राभिषेक महत्व 


प्रदोष व्रत और शिवरात्रि का पर्व रुद्राभिषेक करने के लिए बहुत ही अच्छा माना जाता है।  अगर आप सोमवार को जब शिववास हो, तो उस समय भी रुद्राभिषेक कर सकते हैं।  इसके अलावा आप सावन मास में किसी भी दिन रुद्राभिषेक कर सकते हैं। इस दिन प्रदोष काल में पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है और पूजा का भी पूरा फल मिलता है। प्रदोष व्रत के दिन भोलेनाथ का रुद्राभिषेक जरूर करना चाहिए। 


प्रदोष व्रत का महत्व 


हर महीने में दो बार प्रदोष व्रत रखा जाता है।  इस दिन व्रत रखकर भगवान भोलेनाथ की पूजा की जाती है।  धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को करने से संतान सुख प्राप्त होता है।  साथ ही सभी रोग और दोष दूर हो जाते हैं. भगवान शिव कृपा से निर्धन व्यक्ति भी धनवान हो जाता है. प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति को सुख और सुविधाओं की कोई कमी नहीं रहती है।  इसके अलावा, प्रदोष व्रत करने से भक्तों को शिवजी की असीम कृपा बरसती है।  पौराणिक मान्यता है कि प्रदोष व्रत करने से भोलेनाथ की कृपा से लोगों के दुख-दर्द दूर होते हैं और हर काम में सफलता प्राप्त होती है। 


प्रदोष व्रत रखने का सही तरीका क्या है?


प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर लें। 
इस दिन भगवान शिव का स्मरण कर व्रत का संकल्प लें। 
प्रदोष व्रत के दिन शिवजी की पूजा प्रदोष काल यानी शाम के समय की जाती है। 
इसके साथ ही प्रदोष काल में कथा की जाती है और पूरे दिन उपवास रखा जाता है। 


प्रदोष व्रत पूजा विधि 2024


प्रदोष व्रत वाले दिन सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। 
फिर भगवान शिव और माता पार्वती के सामने व्रत का संकल्प लें। 
एक लकड़ी की चौकी पर पूरे शिव परिवार की प्रतिमा की स्थापना करें। 
फिर गंगाजल से प्रतिमा को अच्छी तरह साफ करें। 
इसके बाद प्रतिमा के समक्ष देसी घी का दीपक जलाएं। 
शिव परिवार को लाल वस्त्र अर्पित करें और चंदन व कुमकुम का तिलक लगाएं। 
फिर खीर, हलवा, फल, सफेद मिठाई आदि का भोग लगाएं। 
इसके बाद प्रदोष व्रत कथा, पंचाक्षरी मंत्र और शिव चालीसा का पाठ करें। 
शाम के समय विधि-विधान से पूजा करें, क्योंकि प्रदोष काल की पूजा ज्यादा लाभकारी मानी जाती है। 
व्रती सात्विक ही भोजन करें और अगले दिन व्रत का पारण प्रसाद से करें।

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