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क्या है राम रक्षा स्तोत्र के नियमित पाठ से लाभ, जानिए किसने किया था पहली बार इसका पाठ

राम रक्षा स्तोत्र की सिद्धि नवरात्र काल में होती है। इसके लिए नवरात्र के समय संकल्प लेकर व्रत रखते हुए 9 दिनों तक राम रक्षा स्तोत्र के 7 या 11 पाठ नित्य करें और अधिक से अधिक संख्या मे राम नाम का जप करें।
 

ऐसे सिद्ध होता है राम रक्षा स्तोत्र  का पाठ

कई तरह की बाधाओं से मिलती है मुक्ति

जानिए कब और कैसे दिखता है राम रक्षा स्तोत्र का पूर्ण प्रभाव

क्या आप जानते हैं कि राम रक्षा स्तोत्र आनंद रामायण से लिया गया है। इसे सर्वप्रथम शंकर जी ने बुध कौशिक ऋषि को स्वप्न में उपदेश दिया था तथा सुबह जागने के बाद बुध कौशिक ऋषि ने इसे लिपिबद्ध करके सबके लिए सुगम बनाया था।

 एक बार कंठस्थ होने के बाद राम रक्षा स्तोत्र अपना पूर्ण प्रभाव दिखाने में सक्षम होता है।  इसके निम्नलिखित लाभ व महत्व आनंद रामायण में प्राप्त होते हैं..

1.  राम रक्षा स्तोत्र 'सर्वकामदाम्' है.. अर्थात् यह सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाला एक तरीका है।
2.  इसके नियमित पाठ से पाठक चिरायु हो जाता है। उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती है।
3. इसके नित्य पाठ करने से सुख समृद्धि और वंश परंपरा अविरल रूप से चलती रहती है। पारिवारिक परेशानियां दूर रहती हैं।
4. इसके पाठ करने वाले को सुख समृद्धि प्राप्त होती है, परंतु उसके साथ घमंड नहीं आता है, बल्कि उसके अंदर सरलता बढ़ती जाती है।
5. इसके नित्य पाठ करने से अत्यधिक क्रोध आने का स्वभाव शांत होने लगता है। पाठक धीरे-धीरे विनयशील होने लगता है।
6. राम रक्षा स्तोत्र का नित्य पाठ करने वालों को किसी भी तरह के भय से मुक्ति मिलती है। कोई भी अदृश्य या वाह्य शक्ति प्रभावित नहीं कर पाती है।
7. जिसने एक बार राम रक्षा स्तोत्र की शरण पा ली है। वह कई सिद्धियों को साध सकता है।  
8. राम रक्षा स्तोत्र के नित्य पाठ करने वाले की सभी आपदाएं अपने आप टलने लगती हैं।

सिद्ध करने कि विधि-: राम रक्षा स्तोत्र की सिद्धि नवरात्र काल में होती है। इसके लिए नवरात्र के समय संकल्प लेकर व्रत रखते हुए 9 दिनों तक राम रक्षा स्तोत्र के 7 या 11 पाठ नित्य करें और अधिक से अधिक संख्या मे राम नाम का जप करें।

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