कस्बों व ग्रामीण क्षेत्रों में भी घरों में ही होगी अलविदा की नमाज, ये है आदेश
tds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_show
चंदौली जिले में पुलिस ने पीस कमेटी की बैठक करके रमजान के पवित्र महीने में होने वाली महीने की आखिरी जुमा की नमाज को लेकर सबको समझा दिया है और कहा कि देश की हालात को देखते हुए अलविदा की नमाज हर हासत में घरों में अदा की जाएगी।
मुस्लिम समुदाय के लोग अलविदा के दिन विशेष एहतेमाम करते हैं। मगर इस बार विशेष परिस्थिति के कारण नगर के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में अलविदा की नमाज घरों में होगी। जामा मस्जिद के सदर अर्शे आजम ने बताया लॉकडाउन के बीच रमजान का आखिरी जुमा यानी अलविदा पड़ रहा है। अलविदा का मतलब होता है रुखसत होना, यानी रमजान अब हमारे बीच रुखसत होने वाला है।
अलविदा रमजान के आखिरी अशरे (21, 23, 25, 27, 29) में पड़ता है। रमजान के आखिरी जुमे को सैय्यदुल अय्याम कहा जाता है। ये सभी दिनों से अफजल होता है। जाहिर बात है जब ऐसा मौका मुसलमानों के बीच से रुखसत हो रहा हो तो उनका गमगीन होना लाजिमी है।
जामा मस्जिद के सदर इमाम फिदाउल कादरी ने बताया फिलहाल लॉकडाउन के कारण मस्जिदों में सामूहिक इबादत की मनाही है। राज्य सरकार की तरफ से अब तक मस्जिदों में नमाज अदा करने की इजाजत नहीं मिली है। नगर के लोगों से अपील है कि घरों पर ही रहकर अलविदा मनाएं। चूंकि जुमा और ईद-उल-फित्र की नमाज सामान्य नमाजों से अलग होती है, इसके लिए खुतबा जरूरी होता है।
नगर के मौलाना अब्दुल बारिक ने कहा ऐसा नहीं है कि घर पर जुमे की नमाज नहीं पढ़ी जा सकती है। दिक्कत ये है कि जुमे की नमाज के लिए जो शर्ते हैं उसे घर पर पूरा करना मुश्किल है। भारत में सुन्नी मुसलमानों में हनफी मस्लक के मानने वाले ज्यादा हैं और उनके यहां जुमे की नमाज के लिए कम से कम चार लोगों की शर्त है।
चंदौली जिले की खबरों को सबसे पहले पढ़ने और जानने के लिए चंदौली समाचार के टेलीग्राम से जुड़े।*