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छठ महापर्व : नहाय-खाय से लेकर उषा अर्घ्य तक की पुरी जानकारी

हिंदू धर्म में छठ पूजा का बहुत ज्यादा महत्व है। यह महापर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। यह व्रत संतान की लंबी उम्र, उसके स्वास्थ्य, उज्जवल भविष्य और सुखमय जीवन की कामना के साथ रखा जाता है।
 

छठ महापर्व की पुरी जानकारी


हिंदू धर्म में छठ पूजा का बहुत ज्यादा महत्व है। यह महापर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। यह व्रत संतान की लंबी उम्र, उसके स्वास्थ्य, उज्जवल भविष्य और सुखमय जीवन की कामना के साथ रखा जाता है। यह व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। 36 घंटों तक कठिन नियमों का पालन करते हुए इस व्रत को रखा जाता है। 


इस दौरान व्रती चौबीस घंटो से अधिक समय तक निर्जल व्रत रखते हैं। छठ पूजा का मुख्य व्रत कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को रखा जाता है, लेकिन इस पर्व की शुरुआत चतुर्थी तिथि से ही हो जाती है और सप्तमी तिथि को प्रातः सूर्योदय के समय अर्घ्य देने के बाद इसका समापन होता है।


पहला दिन: नहाय-खाय

कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को छठ पर्व का प्रथम दिन होता है। छठ पर्व की शुरुआत नहाय खाय से होती है। इस साल छठ का नहाय-खाय शुक्रवार 17 नवंबर 2023 को है। इस दिन प्रसाद के रूप में सात्विक रूप से कद्दू-भात तैयार किया जाता है।

दूसरा दिन: खरना

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को खरना मनाया जाता है। खरना को लोहंडा भी कहते हैं। इस साल खरना 18 नवंबर 2023 को है। दिनभर व्रत के बाद व्रती रात को पूजा के बाद गुड़ से बनी खीर खाकर उसके बाद से 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू करते हैं। 

तीसरा दिन:  मुख्य व्रत

षष्ठी तिथि छठ पूजा का तीसरा दिन होता है। इस दिन छठ पर्व की मुख्य पूजा की जाती है। छठ पर्व के तीसरे दिन व्रती और परिवार के सभी लोग नदी, सरोवर, पोखर या तालाब आदि में जाकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं और छठी मईया का पूजन किया जाता है। इस साल छठ पूजा का तीसरा यानी मुख्य दिन 19 नवंबर को है। 

चौथा दिन: उषा अर्घ्य

चौथा दिन यानी सप्तमी तिथि छठ महापर्व का अंतिम दिन होता है। इस दिन छठ पर्व का आखिरी दिन 20 नवंबर को है। इस दिन प्रातः उगते सूर्य को जल दिया जाता है। इसी के साथ छठ पर्व का समापन होता है।

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