जिले का पहला ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टलMovie prime

जानिए कब है दही हांडी उत्सव ? क्यों और कैसे मनाई जाती है दही हांडी ?

कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार हर साल भाद्रपद महीने की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इसके साथ भगवान श्री कृष्ण के जन्ममोत्सव के रूप में दही हांडी उत्सव भी मनाया जाता है।
 

कृष्ण जन्माष्टमी की हो रही तैयारी

गुजरात, महाराष्ट्र और गोवा में धूमधाम से मनाया जाता है उत्सव

कृष्ण जन्माष्टमी के अगले दिन होता है उत्सव

कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार हर साल भाद्रपद महीने की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इसके साथ भगवान श्री कृष्ण के जन्ममोत्सव के रूप में दही हांडी उत्सव भी मनाया जाता है। यह उत्सव मुख्य रूप से गुजरात, महाराष्ट्र और गोवा में धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्यौहार हमेशा कृष्ण जन्माष्टमी के अगले दिन मनाया जाता है। इस बार जन्माष्टमी 26 अगस्त को और दही हांडी उत्सव 27 अगस्त को मनाया जाएगा।  आइए जानते हैं इस वर्ष कब मनाई जाएगी दही हांडी?


दही हांडी का त्योहार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है।  इस वर्ष जन्माष्टमी 26 अगस्त को मनाई जाएगी और दही हांडी का त्योहार 27 अगस्त के दिन मनाया जाएगा।
 

क्यों मनाई जाती है दही हांडी?  

पौराणिक कथाओं के अनुसार, द्वापर युग में भगवान कृष्ण ने अपने बचपन में अपने दोस्तों के साथ माखन मिश्री चुराते थे और दोस्तों में बांट देते थे। इसीलिए कान्हा को माखन चोर भी कहा जाता है। माखन चोरी होने के डर से गोपियों ने माखन की मटकी को ऊंचे स्थान पर लटकाना आरंभ कर दिया। लेकिन नटखट कान्हा अन्य ग्वालबालों के साथ माखन चुरा लेते थे और बड़े चाव से सबके साथ खाते थे। भगवान कृष्ण की इन बाल लीलाओं को दही हांडी उत्सव के रूप में मनाया जाता है।


कैसे मनाई जाती है दही हांडी?


दही हांडी उत्सव के दौरान मिट्टी के बर्तन में दही या मक्खन को ऊंचाई पर लटकाया जाता है। फिर पुरुषों और महिलाओं का एक समूह एक मानव पिरामिड बनाता है और मटके को तोड़ने का प्रयास करता है। दही हांडी का प्रदर्शन कई स्थानों पर प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैं। इस प्रतियोगिता में भाग लेने वाले लोगों को गोविंदा कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि जो भी समूह मटकी तोड़ता है उसे भगवान कृष्ण का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।

चंदौली जिले की खबरों को सबसे पहले पढ़ने और जानने के लिए चंदौली समाचार के टेलीग्राम से जुड़े।*