जिले का पहला ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टलMovie prime

देवशयनी एकादशी से चातुर्मास प्रारंभ, चातुर्मास में 4 महीने तक सोएंगे भगवान श्रीहरि विष्णु

देवशयनी एकादशी आषाढ़ मा​ह के शुक्ल पक्ष की एकादशी ति​थि को मनाई जाती है। इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। देवशयनी एकादशी के दिन से ही चातुर्मास का प्रारंभ होता है।
 

देवशयनी एकादशी आषाढ़ मा​ह के शुक्ल पक्ष की एकादशी ति​थि को मनाई जाती है। इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। देवशयनी एकादशी के दिन से ही चातुर्मास का प्रारंभ होता है। चातुर्मास में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। इसमें मुंडन, शादी, सगाई, गृह प्रवेश आदि जैसे मांगलिक कार्य पूर्णतया वर्जित बताए गए हैं। केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र कहते हैं कि देवशयनी एकादशी का अर्थ है- वह एकादशी, जिस दिन देव शयन करते हैं। आइए जानते हैं कि देवशयनी एकादशी कब है? चातुर्मास कब से शुरू हो रहा है?

किस दिन है देवशयनी एकादशी 2024?


वैदिक पंचांग के अनुसार, देवशयनी एकादशी के लिए महत्वपूर्ण आषाढ़ शुक्ल एकादशी तिथि इस साल 16 जुलाई मंगलवार को रात 08 बजकर 33 मिनट से शुरू होगी। यह तिथि 17 जुलाई बुधवार को रात 09 बजकर 02 मिनट पर खत्म होगी। ऐसे में उदयातिथि के आधार पर इस साल देवशयनी एकादशी 17 जुलाई को है।


देवशयनी एकादशी 2024 मुहूर्त और पारण


देवशयनी एकादशी व्रत के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 05:34 ए एम से ही बना है। उसके बाद भी आप कभी भी पूजा कर सकते हैं। जो लोग 17 जुलाई को देवशयनी एकादशी का व्रत रखेंगे, वे पारण 18 जुलाई को 05:35 ए एम से 08:20 ए एम के बीच कभी भी कर सकते हैं।


देवशयनी एकादशी से चातुर्मास प्रारंभ


चातुर्मास का प्रारंभ देवशयनी एकादशी के दिन से होता है। चातुर्मास आषाढ़ माह के शुक्ल एकादशी तिथि से प्रारंभ होकर कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तक चलता है। कार्तिक शुक्ल एकादशी को चातुर्मास का समापन होता है। उस दिन देवउठनी एकादशी होती है। चातुर्मास में आषाढ़, सावन, भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक माह आते हैं, लेकिन तिथियों से तिथियों की गणना करने पर 4 माह होता है।


चातुर्मास में 4 महीने तक सोएंगे भगवान


चातुर्मास के प्रारंभ होते ही भगवान श्रीहरि विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं। वे सृष्टि के संचालन का कार्य भगवान शिव को सौंप देते हैं। माना जाता है कि इस दिन से 4 माह के लिए देव शयन करने चले जाते हैं।


धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, किसी भी मांगलिक कार्य के लिए भगवान विष्णु का जागृत अवस्था में होना जरूरी होता है। देव जब जागते रहते हैं तो उस समय आप जो भी पूजा-पाठ या मांगलिक कार्य करते हैं तो उसका पूरा फल आपको प्राप्त होता है। देव जब शयन कर रहे होंगे और आप कोई मांगलिक कार्य करेंगे तो उसका पूर्ण फल आपको प्राप्त नहीं होगा। इस वजह से चातुर्मास के दिनों में विवाह, मुंडन, सगाई, उपनयन संस्कार, गृह प्रवेश आदि नहीं किया जाता है।

चंदौली जिले की खबरों को सबसे पहले पढ़ने और जानने के लिए चंदौली समाचार के टेलीग्राम से जुड़े।*