दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्ति खरीदते समय इन बातों का रखें ध्यान
दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्ति की खरीदारी
मूर्ति खरीदते समय इन बातों का रखें ध्यान
कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की अमावस्या को मनाया जाने वाला दिवाली का त्योहार इस वर्ष 4 नवंबर, दिन गुरुवार को मनाया जा रहा है। हालांकि इस बार दिवाली और नरकचतुर्दशी का पर्व एक ही दिन पड़ रहा है। दिवाली के पावन पर्व पर शाम को शुभ मुहूर्त में मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है लेकिन लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्तियां धनतेरस को ही खरीद ली जाती है और ऐसी मान्यता है कि जो लोग धनतेरस पर खरीदी गई गणेश-लक्ष्मी जी की मूर्तियों का दीपावली की रात जागकर पूजन करते हैं, उनके घर में मां लक्ष्मी का आगमन होता है और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। दिवाली में लक्ष्मी-गणेश पूजन का भी विशेष महत्व है। ऐसे में दिवाली पूजन के लिए लक्ष्मी जी और गणेश जी की मूर्ति खरीदते समय बेहद सावधानी बरतनी चाहिए।
श्री गणेश जी की मूर्ति खरीदते समय रखें इन बातों का ध्यान-
श्री लक्ष्मी गणेश कभी भी एक साथ जुड़े हुए नहीं खरीदने चाहिए। पूजाघर में रखने के लिए लक्ष्मी और गणेश की ऐसी मूर्ति लेने चाहिए, जिनमें दोनों विग्रह अलग-अलग हों।
श्री गणेश की मूर्ति में उनकी सूंड बाएं हाथ की तरफ मुड़ी होनी चाहिए। दाईं तरफ मुड़ी हुई सूंड शुभ नहीं होती है। सूंड में दो घुमाव भी ना हों।
मूर्ति खरीदते समय हमेशा श्री गणेश जी के हाथ में मोदक वाली मूर्ति खरीदें। ऐसी मूर्ति सुख-समृद्धि का प्रतीक मानी जाती है।
श्री गणेश जी की मूर्ति में उनके वाहन मूषक की उपस्थिति अनिवार्य है।
सोने, चांदी, पीतल या अष्टधातु की मूर्ति खरीदने के साथ क्रिस्टल के लक्ष्मी-गणेश की पूजा करना शुभ होता है।
माता लक्ष्मी की मूर्ति खरीदते समय रखें इन बातों का ध्यान-
मां लक्ष्मी की ऐसी मूर्ति न खरीदें जिसमें मां लक्ष्मी उल्लू पर विराजमान हों। ऐसी मूर्ति को काली लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है।
लक्ष्मी माता की ऐसी मूर्ति ऐसी लेनी चाहिए जिसमें वो कमल पर विराजमान हों। उनका हाथ वरमुद्रा में हो और धन की वर्षा करता हो।
कभी भी लक्ष्मी मां की ऐसी मूर्ति ना लेकर आएं जिसमें वो खड़ी हों। ऐसी मूर्ति लक्ष्मी मां के जाने का प्रतीक मानी जाती हैं।
क्यों करें मिट्टी के गणेश-लक्ष्मी की पूजा -
भगवान गणेश लाल एवं श्वेत वर्ण के रूप में है और दूसरी तरफ मिट्टी का निर्माण ब्रह्मा जी के द्वारा किया गया है। मिट्टी से बनी मूर्ति के पूजन का विधान हमारे धर्म शास्त्रों में भी मिलता है। यदि मिट्टी गंगा जी, तालाब, कुएं या गौशाला से लाकर भगवान गणेश-लक्ष्मी की मूर्तियां बनाई जाए और फिर उनकी पूजा अर्चना की जाए तो अत्यंत लाभकारी होता है। हालांकि प्लास्टर आफ पेरिस से बनी मूर्तियों का जिक्र हमारे शास्त्रों में नही मिलता है। सोने की मूर्ति का पूजन किया जा सकता है।
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