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अजा एकादशी पर व्रत रखने के साथ ही करें इन नियमों का पालन, पूजा के बाद सुनेंगे ये व्रत कथा तो पूरी होगी मनोकामना

अजा एकादशी के दिन जहां व्रत रखने का महत्व है वहीं इस दिन व्रती को कुछ नियमों का पालन भी करना होता है जिससे कि व्रत का शुभ फल मिल सके। 

 

अजा एकादशी के दिन जहां व्रत रखने का महत्व है वहीं इस दिन व्रती को कुछ नियमों का पालन भी करना होता है जिससे कि व्रत का शुभ फल मिल सके। वहीं एकादशी का व्रत रखने वाले को कुछ काम करने से बचना चाहिए यानी इस दिन कुछ ऐसे काम भी है जो गलती से भी नहीं करने चाहिए। 

भादो माह के कृष्णपक्ष की एकादशी को अजा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन पूरे विधि-विधान से व्रत रखा जाता है, भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और फिर अगले दिन व्रत का पारण किया जाता है। इस बार अजा एकादशी का व्रत 3 सितंबर शुक्रवार को रखा जाएगा। 

अजा एकादशी के दिन जहां व्रत रखने का महत्व है वहीं इस दिन व्रती को कुछ नियमों का पालन भी करना होता है जिससे कि व्रत का शुभ फल मिल सके। वहीं एकादशी का व्रत रखने वाले को कुछ काम करने से बचना चाहिए यानी इस दिन कुछ ऐसे काम भी है जो गलती से भी नहीं करने चाहिए। 

तो आइये यहां जानते हैं कि आखिर अजा एकादशी का व्रत रखने वाले को क्या कुछ करना चाहिए और कौन से काम करने से बचना चाहिए जिससे कि व्रत का शुभ फल मिल सके। 

अजा एकादशी पर करें ये काम ...

-अजा एकादशी के दिन सुबह स्नान किसी पवित्र नदी , कुंड या कुंए में स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए। अगर ऐसा न कर सकें तो घर में ही नहाने के पानी में गंगाजल मिला लें इससे भी शुभ फल मिल जाएगा।

- अजा एकादशी को व्रत रखने वाले व्यक्ति को दशमी तिथि की रात्रि से ही अजा एकादशी व्रत का संकल्प चाहिए। 

- अजा एकादशी के शुभ अवसर पर भगवान विष्णु की आराधना अपने घर या किसी मंदिर में करना चाहिए। साथ ही भगवान विष्णु को प्रिय पीले रंग का भोग अर्पित करना चाहिए।

-मान्यता है कि एकादशी के दिन माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। 

- अजा एकादशी के व्रत में विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना चाहिए। क्योंकि व्रत में विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना अत्यंत शुभ फलदायक माना गया है। 

- इस दिन भगवान विष्णु की कथा पढ़नी और सुननी चाहिए। 

-एकादशी के दान का विशेष महत्व है। गरीबों या जरुरतमदों को दान करना चाहिए।

-विवाह के लिए एकादशी के दिन केला या हल्दी का दान उत्तम माना जाता है।  

ekadashi vrat rules

अजा एकादशी पर न करें ये काम  ....

-एकादशी व्रतों में चावल का उपयोग नहीं किया जाता। इसलिए अजा एकादशी के दिन चावलों का प्रयोग न करें। 

- इस दिन आपको घर में क्लेश बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए और न ही किसी झूठ बोलना चाहिए। 

- अजा एकादशी के दिन आपको किसी की निंदा भी नहीं करनी चाहिए नहीं तो भगवान विष्णु आपसे क्रोधित हो जाएंगे। 

-इस दिन पूर्णतया सात्विकता का पालन, ब्रह्मचर्य व्रत धारण करना चाहिए। इस दिन लहसुन, प्याज, मांस आदि नहीं खाना चाहिए। 

- आपको इस दिन घर के बुर्जुगों, निर्धन व्यक्ति या फिर किसी ब्राह्मण का अपमान भी भूलकर नहीं करना चाहिए नहीं तो आप पाप के भागीदार बन जाएंगे। 

- अजा एकादशी के व्रत का पारण द्वादशी तिथि के दिन किया जाता है। इसलिए अजा एकादशी के अगले दिन व्रत का पारण करें।

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अजा एकादशी पर सुनें-सुनाएं ये व्रत कथा 

अजा एकादशी व्रत के पूजा के समय आपको व्रत कथा का श्रवण या पाठ जरुर करना चाहिए। ऐसा करने से व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है। 

बहुत समय पहले एक चक्रवर्ती राजा हरिश्चंद्र थे। एक बार उनके जीवन में कुछ ऐसी परिस्थितियां बनीं, जिसके कारण उनका सारा राजपाट चौपट हो गया, स्त्री, पुत्र, परिवार छूट गए। स्वयं को भी बेचकर एक चांडाल का दास बन गए। वह एक सत्यवादी व्यक्ति थे। सदा सत्य बोलते थे। वे सोचते थे कि वे क्या करें, जिससे सब कुछ पहले जैसा हो जाए। उनका और उनके परिवार का उद्धार हो जाए।

एक दिन वे बैठे हुए थे, तभी गौतम ऋषि उनके समक्ष आ गए। हरिश्चंद्र ने उनको प्रणाम किया। उन्होंने गौतम ऋषि से अपने मन की व्यथा बताई। उनके मन की पीड़ा सुनकर उन्होंने कहा कि आज से सात दिन बाद भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अजा एकादशी आने वाली है।

आपको विधि विधान से अजा एकादशी का व्रत करना चाहिए। इससे आपके सभी पापों का नाश हो जाएगा और आपकी पीड़ा भी दूर हो जाएगा। ऐसा कहकर वे वहां से चले गए। गौतम ऋषि के सुझाव के अनुसार, राजा हरिश्चंद्र ने अजा एकादशी का व्रत विधि विधान से किया। भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा की। रात्रि के समय में भगवत जागरण किया।

अजा एकादशी व्रत के पुण्य से राजा हरिश्चंद्र के सभी पाप नष्ट हो गए। आसमान से पुष्प वर्षा होने लगी। उनको उनका परिवार और राजपाट दोबारा प्राप्त हो गया। मृत्यु पश्चात उनको बैकुण्ठ की प्राप्ति हुई।


 

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