नवरात्रि से शुरू करें यह साधना, दुख-दारिद्र दूर करके सारे संकट टालती हैं मां दुर्गा
मां को खुश करने के लिए एक खास साधना
मां दुर्गा जरूर होंगी प्रसन्न
घर परिवार पर आए संकट व ग्रह हो जाते हैं दूर
मां दुर्गा एक ऐसी देवी हैं, जो साधक और भक्त की पूजा से बहुत जल्द प्रसन्न हो जाया करती हैं। साथ ही सबको बहुत जल्दी अपनी कृपा प्रदान कर देती हैं। जो उनकी साधना करता है उसके लिए तो संसार में कुछ भी असंभव नहीं रहता है। माँ की पूजा से हमें धर्मं, अर्थ , काम और मोक्ष सबकी प्राप्ति हो जाती है।
माँ हमेशा अपने साधक पर अपनी कृपा दृष्टि बनाएं रखती हैं और हमेशा अपने साधक का कल्याण करती रहती हैं। उनके साधक और उपासक का कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता है। कहा जाता है कि मां की महिमा का बखान केवल कुछ शब्दों में संभव नहीं है। इसलिए देवी माँ की कृपा प्राप्ति हेतु एक साधना टिप्स बतायी जा रही है, जो पूरी तरह से परीक्षित है, जिसका पालन करने से लाभ होना सुनिश्चित माना जाता है।
साधना विधि
सबसे पहले दुर्गा मां की कोई भी तस्वीर सामने रखकर पूजा करें। इसके लिए देवी के सामने अगरबत्ती और दीपक जलाएं। फिर माता को लाल पुष्प चढ़ाएं। तत्पश्चात मां को कोई भी मिठाई का भोग लगायें और लाल चन्दन का टीका देवी को करें और खुद को भी टीका करें।
फिर ऊपर दिए दुर्गा मान के जप मंत्र को 108 बार जपें ..
दुर्गा माँ का जप मंत्र
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ,ॐ ग्लौं हूं क्लीं जूं सः,ज्वालय-ज्वालय,ज्वल-ज्वल,प्रज्वल-प्रज्वल,
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ,ज्वल हं सं लं क्षं फट स्वाहा।
इसके बाद कुंजिका स्तोत्रं का करें पाठ
नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि।
नमः कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिन ॥
नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै च निशुम्भासुरघातिन
जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे।
ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका॥
क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते।
चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी॥
विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मंत्ररूपिण ॥
धां धीं धू धूर्जटेः पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी।
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देविशां शीं शूं मे शुभं कुरु॥
हुं हु हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी।
भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः॥
अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा॥
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा॥ सां सीं सूं सप्तशती देव्या मंत्रसिद्धिंकुरुष्व मे॥
इसके बाद अपने मंत्र जप को देवी माँ के बाएँ हाथ में समर्पित कर दें।
इसके बाद नीचे दिए अम्बिका देवी के स्वयं सिद्ध शाबर मंत्र की एक माला फेरें।
अम्बिका माँ का स्वयं सिद्ध शाबर मंत्र
ॐ आठ-भुजी अम्बिका,एक नाम ओंकार , खट्-दर्शन त्रिभुवन में,
पाँच पण्डवा सात दीप , चार खूँट नौ खण्ड में,
चन्दा सूरज दो प्रमाण , हाथ जोड़ विनती करूँ , मम करो कल्याण।
जब आप यह स्वयं सिद्ध अम्बीका देवी के शाबर मंत्र की 1 माला फेर लें तो इसे भी देवी माँ के बाएँ हाथ में समर्पित कर दें।
अगर ऐसा नियमित रूप से कम से कम 41 दिन कर लेते हैं तो आपको लाभ होंगे।
इस साधना के लाभ
इस साधना के अनेकों लाभ होते हैं। जब आप इसे करेंगे तो आपको ज्ञात हो जाएगा...
कहते हैं अगर कोई स्त्री करती है तो उसके सुहाग की रक्षा होती है। दुर्गा साधना के धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। दुख दारिद्र से मुक्ति मिल जाती है। आपके घर परिवार पर आए संकट व ग्रह दूर हो जाते हैं।
चंदौली जिले की खबरों को सबसे पहले पढ़ने और जानने के लिए चंदौली समाचार के टेलीग्राम से जुड़े।*